Bhajan Marg

Bhajan Marg

bhajanmarg#37 

bhajanmarg#37bhajanmarg#37:-महाराज जी:- और हर भारत वासी, हमारे देश के सैनिकों को सलूट करता, प्रनाम करता है।हम उन भाईयों से प्रार्थना करते हैं, कि आप जो कश्ट से रहें, ये आपकी तपश्या है। और इसका परिणाम वो होगा, जो एक योगी को परिणाम प्राप्थ होता है, भगवत आनंद, वही तुमको प्राप्थ होगा, हमारी बात पे भी श्वास करो। जीवन तो एक दिन सबका छूटना है। आपका प्रशंशनी राष्ट सेवा में छूटता है।आप कश्ट पुर्वक अगर जी रहें, परिवार से अलग हैं, तो पूरा भारत आपका परिवार है। पूरा भारत आपको प्यार की द्रिश्टी से देख रहा है। आप सच्ची मानिएं। जब यह सुना जाता है कि अमुख जगे युद्ध करते हैं हमारे भारत के सैनिक, तो ऐसा ही कश्ट होता है जिसे अपने पुत्र के या अपने प्यारे लाड़ेले भाई के या मित्र के जाने का दुख होता है। क्यों? क्योंकि आप हमारे राष्ट्र से प्यार करते हैं। इसलिए परिवार और समाज अपने आप सुरक्षित रहेगा। आपका प्यार अपने आप सुरक्षित रहेगा।यदि आप राष्ट सुरक्षा की तरब ध्यान दीजिए। उसके त्यादु की तरब ध्यान दीजिए। आपका सम्मान है। आपने देश भक्ती के लिए ये मारद चुना है। तो देश भक्ती प्रदान रखिये। अगर हम चैन से सो रहे हैं वो राष्ट्र ट को जग रहे हैं जो सुरक्षीत हैं वो बर्फ में खड़े हुए। उनी के कारण में आप सुरक्षीत हैं। उनका त्याद, उनका बलिदान, प्रसंशनी और वो भगवत प्राप्ती के लिए हैं। हमारे बचनों पर विश्वास करो। हम बृंदावन से बैठ के बोल रहे हैं। सच्चिदानन्द भगवान की प्राप्ती के लिए, जैसे हम तपश्या और साधना करते हैं।ऐसे तुम राष्ट्र सेवा में यदि कर रहे हो। अपने कर्तव्य का पालन कर। तुम्हारा जीवन ब्यर्थ नहीं है। राष्ट्र का सबसे बड़ा पद राष्ट सेहनिका है। वो सर्वत्यागी है। विचार कीजिए। 

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bhajanmarg#38bhajanmarg#38:-भक्त:- मैं चोटे बच्चों एवं लोगों को जब बिना पादुकाओं के चल्दे देखती हूं तो उन्हें गर्मी से बचने के लिए पादुकाओं परदान करने का प्रयास करती हूं। महाराज जी, इनका एक कहना की, पर कुछ लोग कहते हैं कि कहान पान की सामग्रियां भी पिरदान करनी चाएये क्योंकि हम देखेंगे तो आगे हमें वो परदान करें |

महाराज जी:- नहीं, नहीं. ऐसा है। ऐसा है उसमें नहीं। तो जूता दोगे तो जूता ही मिलेगा।यह सिद्धान्त गलत है कि जो देंगे वही मिलेगा, इसा भाव नहीं है. नहीं तो मालले हम किसी को रुपया दे रहे हैं, तो रुपया थोड़ी केवल मिलेगा, उसका परणाम मिलेगा.रुपे कप्र हमने रुपया दिया कि यगय हो जाए, भगवान का यश होजाए, यगव शेवा होजाए यह सन्त शेवा होजाए, तो उसका परनाम मिलेगा.ओव आंतरिक भाव देखा जाएता है, बायर वस्तुवों को नहीं देखा जाता है. सञसारीक आध्मिर बैव वस्तवों को देखता है और भगवान आंतरक भाव को देखते हैं जैसे आपके पार वस्तव थे, वस्तव दे रहें और जैसे वस्तव नहीं है और हृदय जल गया कि अरे कीतना कश्टे चुसे चुसे बच्चे पाल आपको हो गये आपको उसका लाब मिलेंगे कास हमारे पास पैसा होता मैं सबको जूते खरीठدेती कास मेरे पास पैसा होता मैं सबको स्वस्था देखती सबको कपड़ा पेनाते, ये पुन्दी मिलेगा, इससे आपका लाब बनेगा, आपकी भावना महान बनेगी और आपको इसका परणाम आगे मिलेगा, देने पर जो लाब मिलता वही न देने पर भी लाब मिलेगा, केवल भावना करने मात्र से. 

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bhajanmarg#39bhajanmarg#39:-महाराज जी:- माँ से बढ़कर के कोई भी सबसे पहली जगत में पूजनी और स्रेष्ट गुरु माँ है। इसलिए उन दुरबुद्धी, उन दुराचारी, उन नरकगामी पुर्शों की क्या बात करें जो अपने माँ के उपर हाथ उठा देते हैं, जो अपने माँ को कटुआचन कहते हैं, माँ जैसा नौ महिने गर्व में रखा, इसके बाद हमारा कितने वर्षों तक मलमूत्र फेकती रही, अपने रक्त को दूद बनाकर हमें पिलाकर पोशन करती रही, उस माँ का अब जब सेवा करने का उसर आता है, अनाथ आश्रम भेजा, अब माना तो दस लाख रुपया, सव लाख रुपया जमा कर देगा अनाथ आश्रम में, उनकी खुप सेवा होगी, लेकिन प्यार, अपना पुत्र अगर दो रुटी ले करके आये, मुष्कुरा करके माँ कैसी होई, इस से बड़ करके रुपया, पैसा और सुविदा नहीं होती, प्यार, प्यार कौन देगा, तुम बच्चे थे, तुमें अनाथ आश्रम में भेजाती गा करके, पैसा जमा कर देती, तेरा हालत क्या होता, आज जब माँ की सेवा का उसर आया, ये जवान जवान लोग बी आईपी बनते हैं, जिसके माँ हो, और कोई देवी, देवता पूजने की जरूरत नहीं, पूजो तो तुम्हारे भागे की बात है, लेकिन सबसे बड़ी देवी माँ है, सबसे बड़ी पूजा माँ है, अगर अपनी माँ की सेवा कर ली, तो भगवान को प्रिशन्द कर लिया, मान जाओ हमारी बात, जहां तक हमारी आवाज पहुंसती हो, अगर तुम्हारी मा हो, तो छूकना मत, माँ का आशिरवाद ले लो, विश्व ब्रह्मान में कभी पलास्त नहीं होगे, माँ महामहिम गुरु है, इसलिए माँ को इस मनुश्य लोक में प्रथम देवता, प्रथम गुरु मानना चाहिए, मात्रदेवो हो, हमारा वेद कहता है, 

प्रतिदिन राधे जाप :-

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राधे

🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸

bhajanmarg#40 to #43

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bhajanmarg#15 to #17
bhajan marg
भजन मार्ग 15 से 17 में प्रेमानंद जी महाराज द्वारा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का गूढ़ रहस्य समझाया गया है।
"प्रेमानंद महाराज का भजनमार्ग: राधा‑कृष्ण भजन, आध्यात्मिक जीवन, सहज भक्तिपथ।"
premamand ji maharaj
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bhajanmarg#37,#38,#39
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