Bhajan Marg

bhajanmarg

bhajanmarg#04

bhajanmarg#04 Bhajanmarg#04:-महाराज जी:- पुरानी चादर में जब बढ़िया रंग चढ़ जाता है तो फिर दूसरा रंग चढ़ता नहीं। अब उनके दिमाग में बैठ गया। मैंने सारे तीर्थ किए हैं, दिमाग में बैठ गया मैंने ये किया है मैंने वो किया ये सब कुछ नहीं है भाई मेरी बात मानो।नाम जब करते हुए अपने घर में बैठे हो, सारे तीर्थ आपके चरणों में है मेरी बात मानलो राम राम राम राधा राधा राधा एक नाम पकड़ लो पक्का, अगला जन्म नहीं होगा तो।

 

भक्त:-मैं भी अब मैं गुरुजी मान गया राधा राधा।

महाराज जी:-अरे बस तो तुम्हें बेड़ा पार, हम कह रहे थे।पकड़ तो लेओ राधा राधा उच्चारण करो और श्वास छूट जाए और भागवत प्राप्ति ना हो तो बात हमारी बस।राधा आप तो गुरु मान के राजा राधा करते।राधा आप तो गुरु मान के राजा राधा ।

 

 

bhajanmarg#05

bhajanmarg#05:-

bhajanmarg#05महाराज जी:- की हमे मृत्यु का कोई भरोसा नहीं है, मृत्यु का कोई ठिकाना नहीं है। आएगी ना मृत्यु कब आएगी इसका पता नहीं ना? किसी भी चड़ा सकती है गाड़ी में वीआइपी से चल रहा गाना और बढ़िया ड्राइविंग अगला सेकंड मृत्यु का मस्ती में है। बिलकुल हो हल्ला मचा रहे है सब नौ जवान वो अगला एकदम खत्म सा।मन में बिजली कटी अँधेरा ऐसे मृत्युवती कुछ भरोसा नहीं कब कहाँ कैसे आ जाए तो अगर हम रामकृष्णा हरि राधा राधा रट रहे और राधा हमारी मृत्यु हो गई। अब हमारे को भागवत प्राप्ति होगी, हमारी दुर्गति नहीं होगी, हमें नरक नहीं जाना पड़ेगा, इसलिए हम कहते हैं उठते बैठते चलते फिरते अगर नाम जब करोगे तो इस लोक में भी मंगल रहेगा और आपका परलोक भी बन जायेगा। आपको परम।गति प्राप्त हो जाएगी ये पता नहीं कब मृत्यु आ जाए। बैठे बैठे आ जाती है, नाचते नाचते आ जाती है, कवल तोड़ा और मृत्यु आ गई। 

 

bhajanmarg#06

 

bhajanmarg#06:-भक्त:-महाराज जी पूजा।या।कर्म किसको अधिक महत्त्व दे?

bhajanmarg#06 महाराज जी:- हम इन दोनों बातों को कोई महत्त्व नहीं देते जिसे हम पूजा कहते हैं। अगरबत्ती आरती, भगवान के सामने ये सब करना और एक होता कर्म सांसारिक अपने कर्मों का जैसे किसान अपना कर्म करता है, व्यापारी अपना कर्म करता है, ये दोनों का महत्त्व नहीं हम उसमें महत्त्व देते हैं। किसके लिए कर रहे हो? एक अन्य संसार के सारे कार्यकर्ता है।सर आप पीता है, मांस खाता है, भी विचार करता है और बहुत अच्छे मेहनत से कार्य करता है। बेकार हो गया ना? आपका उद्देश्य क्या है पूजा करने का और आपका उद्देश्य क्या है? कर्म करने का कर्म और पूजा खास बात नहीं आपका उद्देश्य खास बात है। हमारी बात समझ रहे है ना?अब आप किस बात को लेकर के दोनों का हिसाब करना चाहते हैं? पूजा और कर्म का आप आप बोले ना, तब हम आपके उद्देश्य को समझे।

भक्त:- महाराज जी पूजा करते हैं ताकि मतलब गलत चीजों से बच सके। और और कर्म ये है की मतलब किसके लिए क्या करता है मतलब किसकी मदद कर सकते हैं? किसके लिए क्या अच्छा कर?सकते हैं।

महाराज जी:-  बहुत सुंदर हाँ, बहुत सुंदर अब जैसे आपका प्रश्न का खुलासा हुआ। हम भागवत आराधना से बल प्राप्त करते हैं, दोषों के त्याग के लिए।बहुत सुन्दर बात और हम जो कर्म करते हैं उससे जो हमें अर्थ प्राप्त होता है उससे हम अपने परिवार के अपने समाज की सेवा करते हैं। यही भक्तों आपका है। ये दोनों बराबर है जो एक आदमी बैठ करके माला जप करता है और एक आदमी फावड़ा उठाकर राम, राम, राम हर फावड़े पे भगवान का नाम जप करते हुए करता है और एक आदमी एकांत में बैठे है। एक आध्यात्मिक और प्रेरणादायक ब्लॉग है, जो श्रीमद् भगवत प्रेमानंद जी महाराज की दिव्य शिक्षाओं, प्रवचनों और भक्ति से जुड़े गूढ़ ज्ञान को समर्पित है। इस ब्लॉग के माध्यम से श्रद्धालुजन महाराज श्री के अमृतवाणी, सत्संग, भजन, कथा, और भक्ति मार्ग के अनमोल रत्नों को सरल और भावपूर्ण भाषा में समझ सकते हैं।

 

 

प्रतिदिन राधे जाप:-

राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
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राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे

🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸

bhajanmarg#07 to#10

 

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premanand ji maharaj
bhajanmarg#15 to #17
premanand ji maharaj
भजन मार्ग 15 से 17 में प्रेमानंद जी महाराज द्वारा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का गूढ़ रहस्य समझाया गया है।
PremanandMaharaj.blog पर पाएं प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन, भजन और भक्ति ज्ञान का संग्रह।
premamand ji maharaj
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