Bhajan Marg

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bhajanmarg#45 :- 7 करोड़ नाम जपने पर
आपके साथ क्या होगा? नाम जप (भाग – 6)

bhajanmarg#45bhajanmarg#45:- महाराज जी :- जेवि साथ करोड़ नाम उसके जप हुए, अब त्रिभुवन में कोई कामिणी उसे आकरशित नहीं कर सकती।यहां से लेकर के अपसराद देवलोग, ब्रह्मलोग तक की अब उसको आकरशित नहीं कर सकती। परम पवित्र भाव उसके अंदर में, जहां कामिणी का प्रवेश ही नहीं। भारी से भारी प्रतिकूलता, भारी से भारी अनुकूलता भगवन नाम नहीं छुडा सकती। साथ करोड़ नाम जापक की ऐसी इस्तिति हो गए कि घणी भूत, गाड़ नाम में दूबा हुआ है। विश्व की अपसरायं भी एक साथ उसको मोहित करना चाहें तो नहीं मोहित कर सकती हैं। बड़े-बड़े महा भागवतों का प्रगट में मिलन शुरू हो गया, जिसे देवल शिनारत जी, संकाद जी, वो उनसे बात करते हैं, वो आनन्दमोद में दूबा हुआ भगवान के, आनन्दमोद में उनको दूबाता है और वो उनको दूबाते हैं। nextpage  

 

bhajanmarg#46 :- 8 करोड़ नाम जपने पर
आपके साथ क्या होगा? नाम जप (भाग – 7)

bhajanmarg#46bhajanmarg#46 :- महाराज जी :- जब आठ करोड नाम जब किया तो मृत्यू का भय खतम हो गया। वैसे वो दीर गायों होगा क्योंकि अकाल मृत्यू का नाश हो जाता है भगवन नाम जब करने से लेकिन सरीर से सम्मंद उसका नहीं रह गया। वो आत्मस्वरूप में इस्थित आत्मसिंगासन पर हर समय बिराजमान रहता है।आठ करोड जिसका नाम जब हो जाता है वो पुर्ण आत्मग्यानी महा कुरुष, सरीर, संसार, लोक, विवहार, काम, कुरुद, मू, मध, मत्सथ सबसे दूर निर्विकार परमात्म स्वरूप हो गया। nextpage 

 

bhajanmarg#47 :- 9 करोड़ नाम जपने पर
आपके साथ क्या होगा? नाम जप (भाग – 8)

bhajanmarg#47bhajanmarg#47 :- महाराज जी :- 9,00,00,000 नाम जप किए तब वो भगवद साक्षात्कार के योग्य हो गए। उनकी वाणी सत्य हो गई और उनके सुख का वर्णन नहीं किया जा सकता। नाम का अधिष्ठात्र देवता सामने प्रकट हो जाता है। जैसे राम राम तो राम प्रकट हो जाएंगे राधा राधा तो राधा नाम जप करो। लिखा तो है संख्या से अगर धुंआधार जब। वो तो जब हो जाएगा तो श्रीजी अपने आप मिल जाएगी। गिनती कौन करे? आप लोगों को गिनती आती है तो गिनती कर लो अपने तो धुआंधार के गिनो तुम जब हम रहे प्रभु से कहते गिनो तुम जब हम रहे, हम हमें पता है तुम बेईमानी नहीं करोगे की संख्या में बेईमानी आप नहीं करोगे में बेईमानी हम नहीं करेंगे। घूंआधार देखो रात दिन अभी देखो ये साक्षात सामने सियाराम, राधे श्याम, शिव पार्वती जो चा हो गया वो खड़े हो जाएंगे ये सब हाय हाय इधर ये पीड़ा, वो पीड़ा, ये समस्या भगवान का नाम पकड़ कर के झपो देखो क्या क्या नहीं मिलता नाम रूपी धन को तो भूले हुए हो और इधर उधर बेईमानी, छलकपट से चंद रुपय। चंद धन, चंद सुक। इंमें विश्राम मिलने वाला है और वो वाणि का सत्य-वक्ता हो जाता है कि जो बोलेगा, वईय होगा। जाओ- तुमारा मंगल होजाए जाओ, तुम्हे भगवान का साक्षात होजाए अइसे साक्षात कार होता है नौ करोड नाम जापक के हर्दय में जो सुख उदय हुआ उसका बर्णन नहीं किया जा सकता | nextpage

bhajanmarg#48 :- किस दिन बाल और नाखून काटना मना है? जानिए सही दिन!

bhajanmarg#48bhajanmarg#48 :- भक्त :- किसी दिन नेल्स कट नहीं करना, कभी बाल कट नहीं करना। 1 दिन आपने सत्संग में प्रणन किया था, ये क्या पाप में है या फिर? 

महाराज जी :- देखो एक हमारी धार्मिक अनुशासन है जैसे गुरुवार को हम बाल नहीं कटा सकते, साबुन से वस्त्र नहीं धो सकते, नाखून नहीं कटा सकते, सेब नहीं बना सकते, हमको उसका निर्वाह करना चाहिए। अब आज इसे आप करो तो आपकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाएगी। अब जैसे प्रातःकाल जग कर के भगवान सूर्य का अभिनंदन, वंदन करना, अर्घ्य देना, माता पिता के चरण छूना, अब ये सब बंद हो गया, अब देखो बंद हो तो बुद्धि भ्रष्ट नहीं हो रही है। कौन शांति से जी पा रहा है? बृहस्पतिवार को या जिन दिनों को निषेध किया गया है, उस दिन वो कार्य करते तो हमारे पुण्यचय होते। पुण्यनाश होगा तो पाप बढ़ेगा, पाप बढ़ेगा तो दुःख बढ़ेगा, समस्याएं बनेगी, चिंता बनेगी, दिमाग फसता चला जा रहा है, हर समस्या में फसता चला क्यों? क्योंकि एक सिस्टम धर्म का जो है उसका आप उल्लंघन कर रहे हैं। भगवान शिव की उपासना में फर्क पड़ जायेगा यदि सोमवार को आप शौर कर्म कर दे, मंगल हमारे प्रतिकूल हो जायेगा। यदि हम बुद्ध हमारे। हो जायेगा यदि हम करेंगे, शुक्र हमारे अनुकूल हो जायेगा। भ्रम ऋषियों ने निकाला की बुधवार अगर शुक्रवार को हम छोर कर्म करे केवल बुधवार। शुक्रवार हव्ते में दोबार कर ले तो काफी मना रहा गई  जरूरी नहीं है कि हहहहह हहहह आह  वैसे चाहो बुदहवार शुकरवार को ही केवल करो यदी आपको नहीं पढ़ पाता है तो केवल गुरुवार को छोड़ दो तो इसमें आपका विशेश आने नहीं होगी। गुरुवार को करने से फिर विशेश आने नहीं जाएगी। nextpage

प्रतिदिन राधे जाप :-

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राधे

🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸 

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bhajanmarg#15 to #17
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भजन मार्ग 15 से 17 में प्रेमानंद जी महाराज द्वारा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का गूढ़ रहस्य समझाया गया है।
"प्रेमानंद जी महाराज के भजन मार्ग की आध्यात्मिक शिक्षा।"
premamand ji maharaj
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bhajanmarg#43 , #44 , #45, #46,
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