Bhajan Marg

premanand ji maharaj .

bhajanmarg#49 – जीवन की परीक्षा में असफल हुए हो?
तो ये ज़रूर सुनो!”

bhajanmarg#49 :- महाराज जी :- अगर विद्यार्थी परास्थ हो जाता है पढ़ने में, तो जीवन नस्ट करने की नहीं सोचना। हर जगह फेल है लेकिन एक जगह पास है। ये भगवाण, मैं आपका हूँ। वो उठाएंगे, वो आपको प्रकासित करेंगे। बिल्कुल परास्थ होने की बात नहीं है। दिमाक में प्रशनता रखो। जो होगा मंगल में होगा।मनुष्य जीवन में किसी भी स्थिती में निरासा नहीं आनी चाहिए। हम फेल हो जायें, हम हार जायें, हम घाटे में, हम विपत्ती में, यह सब बनी रहेगी क्या। बिल्कुल प्रशनता रखो। बच्या हारना है ही नहीं।हम हार में विजय खोचते हैं। हमें विजय का वही खोज मिली जाहां हारें। जाहां हमें हारने की नोबता है वही खोजा विजय कहां से।तो सूत्र मिला। तो हार कोई बुरी चीज नहीं है। निरास नहीं होना चाहिए। हमारी और उठाल होगी। खिलाड़ी का गेद जब ऐसे नीचे जाता है न। तो ये नहीं समझे नीचे गया। वो नीचे से थपक मारेगा तो अपने लक्ष पे जाएगा।हम सब भगवान के हांत के बाल हैं।हम कुछ चिंता नहीं करनी है। हज़ार बार हारेंगे तो भी हम दोड़ पड़ेंगे अपने लक्ष की पर। हार कर नहीं बेटजाएंगे कि अरे एक हज़ार बार हार गये अब क्या जीतेंगे।हम हार को जीत में बदलेंगे। टेंशन के टेंशन बन जाओ तो।भगवान के दास हो यार। nextpage

bhajanmarg#50 – सत्संग सुनने से व्यक्ति के पाप कैसे नष्ट हो जाते हैं?”

bhajanmarg#50bhajanmarg#50:- महाराज जी :- एक चोर चोरी करके भाग करके आया था। उसके पीछे सैनिक लगे हुए थे तो जहाँ सत्संग हो रहा था, उन्हीं के बीच में जाकर बैठ गया तो अब राज़ सैनिकों ने देख पाया, नहीं तो वो चले गए और चोर बच गया। सत्संग में यही चर्चा चल रही थी। ये दीक्षा लेने से नया जन्म हो जाता। पूर्व पाप नट हो जाते तो चतुरभुजदास जी संत थे। उनके पास गए और बोले, महाराज आप जो बात कह रहे हैं, सत्य है, क्या मैं दीक्षा ले लूँगा, आज से निष्पाप हो जाऊंगा। बोले आज से हम निष्पाप हो जाओगे, बोले दीक्षा दीजिए। उन्होंने तुरंत उसको दीक्षा दी। दूसरे दिन वो निर्भय होके घूम रहा था, सेठ खोज रहा था। अरे बोले यही है उसको बंदी बना लिया गया। राज़ दरबार में ले गए। राजा ने कहा तुमने चोरी की है? उसने कहा, मैं कसम खा सकता हूँ कि इस में चोरी नहीं की। साहूकार ने कहा मैं कसम खाके कहता हूँ किसने कल चोरी की है। अब दोनों अपनी अपनी कसम पे तो उस समय जो पद्धति चलती थी, सत्य को प्रमाणित करने के लिए एक लोहे का फार गर्व किया जाता था और पीपल की छोटी सी नवीन पत्ता ऐसे रख दिया जाता था और उसके ऊपर। सूत ऐसे बांध दिया जाता था और वो लोहे का जलता हुआ फार हाथ में ले और सूत जले ना और सात कदम चल के फेंक दे। वो सत्य माना जाता था तो ऐसा ही चोर के साथ किया गया। ये ही पूरी पद्धति करके ऐसे फार और सात कदम चला। फेक दिया बिल्कुल सूत जेव कते हुआ।अब तो राजा ने सेट को कहा इसे फासी दी जाए ।जब उसके फासी की बात के तो बोले सरकार नहीं वो भी सही है।कहानी यह है कि हमने कल चोरी की थी लेकिन फिर हमने दिक्षा ले ली तो दिक्षा से नया जल्म हो जाता है इसलिए मैले इस जल्मे में चोरी ले की इस बात से राजा बड़े प्रभावित हुए। nextpage

bhajanmarg#51 – मुझमें सहन शक्ति कम हो गई है, क्या करूँ?” 

bhajanmarg#51bhajanmarg#51 :- भक्त :- गुरुजी मन बहुत मलीन हो चुका है, सेहन्शिलता बहुत ही कम हो गई है मेरे में, थोड़ी सी प्रतिकूलता आने पे बहुत ज़्यादा घबरा जाता है। 

महाराज जी :- नाम जप करो ,नाम जप से सब बला आ जाएगा।अभी करती नहीं हो?दवा खाए और परहेज से रहे, तो दवा ज़्यादा काम करती नहीं।गंदे आचरण, गंदी बात, गंदा चिंतन, गंदा विवहारे बंद करो।और नाम जप करो, देखो प्रभाव आता है क्या नहीं नाम जप का।बड़े से बड़ी शमश्याओं को शांत भाव से मुस्कुराते हुए सह जाना, ये अध्यात्मवान की सामर्थ होती है।और अभी सरीर श्वस्त है, आप लोगों का, लेकिन चिंतन हो रहा, दुख खाल है संसार का, तो आप परेशान हो।सुख की सांनदिधी में भी परिशान हो, पतान नहीं ऐसा नहो जाए, कैंज हिसे नहो जाए, कैंज ये नहो जाए, तो ये ओवर थिंकिंग, ब्यर्थ की गुत बविस्य का चिंतन कीऊं।राधा, राधा, राधा, होगा वही प्यारे जो राम जी को भाएगा।क्या चिंता करना, अनंत ब्रह्मान्डो का पूशन भगवान कर रहे हैं, हम उनके दास हैं, हम उनकी सरण में, वो हमारा भरण पूशन नहीं करेंगे क्या? और सरीर बना है पाप और पुर्ण से, तो शुक, दुख भोगना ही पढ़ेगा। nextpage

प्रतिदिन राधे जाप:-

राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
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राधे 

🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸

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bhajanmarg#15 to #17
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भजन मार्ग 15 से 17 में प्रेमानंद जी महाराज द्वारा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का गूढ़ रहस्य समझाया गया है।
"प्रेमानंद जी महाराज द्वारा भजन मार्ग की गहराई से व्याख्या, आध्यात्मिक ज्ञान से भरपूर।"
premamand ji maharaj
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bhajanmarg#49 #50 , #51
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