bhajanmarg#52 – मानसिक संतुलन बिगड़ना डिप्रेशन है या साये का असर?”
bhajanmarg#52 :- भक्त:- महाराज जी क्या मांसिक संपुलन डिपरेशन है या कोई सायाप?
महाराज जी :- कोई सायाप आया नहीं है।किसी आदमी को 20 बार, 20 लोगों को त्यार कर लो, अलग-अलग और उसको, यार तुम डिपरेशन में पहुंच गए क्या? नही नही तो आमें तो लग रहा है तुम डिपरेशन में हो और चला जाये कि दूसरा आवें यार तुम डिपरेशण में पहुँच गये क्या और बीसो कहे अगर वो असपताल कर नहीं पहुँच जाये तो अमसे बात करने वो अस्पताल जाएगा और चेक करवाएगा कि मैं डिप्रेशन में हूँ क्या।क्योंकि 20 लोगों ले कहा हैं।तो हम पहले कह रहें कि ये स्वीक्रती करो कि मैं डिप्रेशन में नहीं हूँ। जैसे लोगों को रहता हैं कि बाहरी चक्कर कोई होगा ये सब भीतरी चक्कर। हमारे द्यारा जो पाप कर्म होते हो, वही अमारी बुद्धी को ब्रश्ट कर देते हैं।जैसे भूद प्रेशन भी आता है ना तो पाप करम के कारणे आता है।हमारे पाप कर्म को भुपताने के लिए भूत का आवेश होता, वो हमें दूख देता है और जब हमारा पाप कर्म सही हो जाता है पाप कर्म छी जा जाता है या तो कोई झाडने फूकनेवाला मिल गया, या स्वहम चल जा जाता है तो कर्म ही अमारे लिए भूत है और कर्म ही अमारे लिए बगवान है।इसलिए कर्मों को सुधार करो। nextpage
bhajanmarg#53 – 23 दिन के बच्चे की मृत्यु हो गई अब जीवन रुक सा गया है, किसी चीज़ में मन नहीं लग रहा!”
bhajanmarg#53 :- भक्त:- आपके 23 दिन के एक बालक थे, उसका मृतियों हो गया।महाराज जी, अब जीवन स्थागित सा लग रहा है,वापिस जीना चाहते हैं, मगर किसी चीज में मन नहीं लग रहा।
महाराज जी :- वो जीव केवल 23 दिन के लिए आया है, हम 23 सेकेंड भी नहीं बढ़ा सकते हैं।अब हम पने स्वार्थ को रोते हैं,कि मेरा बेटा अगर ये जवान होता,पढ़ते लिखता, नोकरी करता, तो मैं अपनी आँखों से सब देखता, वो कमाता और शुक्पूर्वक रहता।लेकिन ये आपकी सोच है,उसपर किसी का बस नहीं चलता,जितनी आयु लेकर के जीव आता है, उतनी आयु ही, ये हमारा विवेक।मेरा पुर्ण इतने ही था,कि मुझे पुत्र तो मिलेगा, लेकिन इतने दिन के लिए मिलेगा।अगर आप दुखी होकर के जीवन बितीत करेंगे,तो अपना उत्सा नस्ट करके, अपने जीवन को कमजोर करनेंगे।तुरंत काटिये उसके, कि नहीं।गो जीव केवल इतने ही मिनट के लिए आया था।तो अब आगे देखते हैं।अगर संतान सुख होगा तो आजाएगा,तो कोई बात नहीं।हम भगवान को अपना बेटा बना लेते हैं।गुपाल जी को अपना बेटा बना लेते हैं। nextpage
bhajanmarg#54 – क्या आपका आज,आपके कल को सुधार रहा है?”
bhajanmarg#54 :- महाराज जी :- जब तुम्हारा शरीर, शरीर छुटा कौन पूछता है यार। तुम चाहे जिस पद में हो और चाहे जितने बड़े यसस्त्री हो।तुम्हारे मरने के बाद यहाँ जब भगवान का नाम नहीं ले रहे हैं लोग तो तुम्हारा नाम कहां से लेंगे।और तुम्हारे साथ जाएगा क्या? यहाँ का बेंक वैलेंस, यहां की वाहवा, यहां की तुम्हारी पतनी, पुत्र, परिवार।अरे जब देह नहीं जाएगा तुम्हारे साथ कुछ नहीं जाएगा।दुनिया में लाखों का मेला जुड़ा, हंसा जब जब उड़ा तो, अकेला उड़ा। उसे अकेला भोग भोगना पड़ता है, फिर नई योनियों में जाकर के दुरगती भोगता है।इसलिए होश में रहो, जो पूरु पाप का कर्म है उसे भोग लो हस्ते हुए। आगे कोई पाप मत करो। नाम जब करो और अच्छे आच्छन करते हुए। विजय को प्राप्त हो। परमात्मा ने तुम्हे खेती दे दी और बीज दे दिया। अब बोते क्या हो ये तुम्हे देखना है। खेती दे दी भारत भूमी में मनुष्य सरीब। बीज दे दिया तुम्हारी बुद्धी। पाप कर्म बोते हो या पुण करो। गन्ना बोगे तो गन्ना मिलेगा, बोमबु बोगे तो बोमबु मिलेगा, या मन्मानी आचरन करते हैं इसके बाद भगवान को दोस्त देते हैं।नहीं भाई, बहुत समल समल करके करो, फिर देखो आपको आनंद आता है क्या नहीं।हम अंदर की तुम्हें बात कहते हैं, यदि तुमसे पाप कर्म नहों, तो आप देखो आप सुख में ही डूपते चले जाओगे। एकिन मनमानी आच्रन करते हो, पाप करते हो, जब उसका दंड आता है तो भगवान को कोषते हो, भगवान एक सर्व समर्थ पिता है जो तुम्हें दे दिया। अब तुम उसका वर्ताओ क्या करते हो अपनी स्मासों का, ये तुम देखो। nextpage
प्रतिदिन राधे जाप :-
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🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸


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