bhajanmarg#07
bhajanmarg#07:- भक्त:- महाराज जी क्या गर्भधारण के बाद माता पिता दोनों नाम जब करे तो इससे होने वाली संतान भागवती खोगी या फिर वो संतान अपनी खुद की किस्मत या करम लेकर आएगी ?
महाराज जी:- नहीं। इसका प्रभाव पड़ता है, गर्भस्थ शिशु पर माता पिता की चेष्टाओ का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। देखो, इसका प्रमाण है गर्भस्थ शिशु।अभिमन्यु अपने माँ के गर्भ में ही जब वो अर्जुन जी चक्रव्यूह रचना को तोड़ने की क्रिया बता रहे थे तो वही सीखा और माँ शयनकर निद्रा में हो गई। सप्तम द्वार वेदने का तो नहीं सीख पाए? इसका मतलब यदि गर्भधारण हो जाए और माँ।और पिता ब्रह्मचर्य से रहें। गर्व होने के बाद फिर सहवास ना करें नहीं बालक के दिमाग की स्थिति में और उसकी शारीरिक स्थिति में दोनों कु प्रभाव पड़ते हैं, जो गर्भस्थ शिशु के होने पर भी वह सहवास करता है और निकृष्ट माता पिता है। वह संस्कारहीन बच्चा पैदा होगा इसलिए ये जरूर ध्यान रखें।जीस दिन से वे पता चल गया कि पत्नी गर्भवती उसी समय से माँ को और पिता को दोनों को ब्रह्मचर्य रहे। पति पत्नी को ब्रह्मचर्य।
bhajanmarg#08
bhajanmarg#08:-भक्त:- महाराज जी आपने बोला था की किसी भी व्यक्ति के आखिरी कुछ मिनटों में यदि भगवान का नाम सुनाया जाये तो उसे भगवद प्राप्त हो जाएगी। महाराज जी क्या ये पशुओं पे भी लागू होता है?
महाराज जी:- हाँ बिलकुल अगर वो पशु प्राण से अग रहा है और उसके समीप नाम संकीर्तन कर रहे है तो नाम संकीर्तन के प्रभाव से उसका परम मंगल हो जायेगा। ये हमने कई जगह खुद देखा है।एक बार हम 2:00 बजे रात्रि के बृन्दावन की परिक्रमा लगा रहे थे तो उस समय परिक्रमा मार्ग कच्चा था। ये तो अभी कुछ वर्ष पहले बना है। 25-26 वर्ष पहले के बाद जंगल भी था तो शायद उसे लोमड़ी कहते हो या सियार, ऐसा आकृति का जीव था कुत्तों ने उसको मरणाशन स्थिति में वो बड़ा ऐसे था और कुत्ते उसको बहुत शिन्न भिन्न कर चूके थे और चले गए थे तो वो आंख खोल के देख रहा था पर स्थिति थी की अभी मरने वाला है तो बैठ गए वृंदावन की जो परिक्रमा की थी उसके ऐसे शरीर में डाला कान में उसके राधा राधा राधा वो जो हमारी तरफ करुणादृष्टि से देखा ना।तुम्हे कैसे बताये? ऐसा लग रहा था मानो कोई महापुरुष हमे आशीर्वाद दे रहा हो। थोड़ी देर में ऐसे झटका हुआ। वो अंदर हृदय, एक दम ऐसा शीतल हुआ और या ऐसे भगवत प्राप्ति हो गयी क्योंकि धाम रजरानी।
bhajanmarg#09
bhajanmarg#09:-भक्त:- महाराज जी मैं रात को ही बाहर से आया हूँ। कनाडा से तो मेरे दोस्त है, वो डिप्रेशन हुए है काफी तो इसलिए मेरा ये क्वेश्चन था। उन सब के बाहर के मुल्कों में लोगों के पास इतना सब कुछ है, पैसा गाड़ी।
महाराज जी:– लेकिन लेकिन लेकिन नाम लेकिन अध्यात्म नहीं है, प्रभु ना?
भक्त:- नहीं, वो कई बार जब मैं जाता हूँ के बाद वो कह रहे है मंदिर भी जाते है।
महाराज जी:– तुम्हारा चिंतन कहा है हम चिंतन, अध्यात्म में अध्यात्म का तात्पर्य तुम्हारे चिंतन।तुम्हारे अंदर क्या चल रहा है? तुम अपने हृदय मंदिर के ठाकुर को नहीं पहचाने तो विश्व के कई तीर्थों में घूमिया कल यही जाए बैठे बैठे थे, बोले 85 साल का हूँ, भारत के पांच पांच बार सब तीर्थ सोया हूँ। मेरा अगला जन्म होगा की नहीं, हमका गैरॅन्टी नहीं क्योंकि ये कोई खास चीज़ नहीं है। खास चीज़ है आप नाम जब करते हो, बोले नहीं तो उनका पक्का होगा जन्म नाम जब आपका चिंतन के अंदर चल रहा है आप चिंतन नेगेटिव करोगे, भोग पशुता वाले करोगे? आचरण तुम्हारे जानवरों वाले हैं, राक्षसी आचरण हैं ये ऊपर का चेहरा कुछ अलग होता हैं। पर्सनल चेहरा कुछ अलग होता हैं, दो चेहरे होते हैं और जिसका एक चेहरा होता हैं वह महात्मा होता हैं जो अंदर वहीं बाहर जो बोला वहीं आचरण में नहीं तो संसार में दो चेहरे होते हैं।एक दाढ़ी बनाके चिकन और सांप पोशाक एक ये चेरा और एक पर्सनल राक्षसी स्वभाव और जब उसका कर्म आता हैं तो डिप्रेशन में जाता हैं डिप्रेशन पाप का कंध हैं। उसकी सोच बदल दी गई, नकारात्मक सोच हो गई अब वो परेशान, ये दिमाग तो शस्त्र।
bhajanmarg#10
bhajanmarg#10:-भक्त:- पुजी महाराज जी कुछ ऐसे नियम या संस्कार जिनका जीवन पर्यंत पालन करना चाहिए।
महाराज जी:– पहला जब तक ब्याह ना हो तब तक ब्रह्मचर्य और जब ब्याह हो जाए तो अपनी पत्नी से केवल अनुदान जीवन में कोई नशा ना करे, जीवन में बेईमानी, घूसखोरी न हो।जीवन में माता पिता कभी अपमान ना करे जीवन में कभी दूसरों को दुख ना दे नाम जब करे भागवत प्राप्ति।
101 राधे जाप:-
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🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸


Radhe radhe
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