bhajanmarg#64 – “तैयार रहो… सब कुछ छिनने वाला है!”
bhajanmarg#64 :- महाराज जी :- सब मरेंगे, तो मृत्यू अपना काम करेंगे, चाहे संतो हो, चाहे असंतो हो, चाहे बच्चा हो, चाहे जवान हो, चाहे बुद्धिमान हो, चाहे मूर्ख हो, चाहे पापी हो, चाहे पुर्णे आत्मा हो, मृत्यू लोक में है, मतलब मरेगा। अब समय निश्चित नहीं है, समय किसी का बाल्यावस्ता में ही मृत्यू, किसी की जवानी में, किसी की बृद्धावस्ता, तो हमें पहले से तैयार रहना चाहिए कि ये सब बिछडेंगे। हमको जो वैराज्य हुआ बच्चपन में, वो इसी बात से हुआ, हम अपनी मा से बहुत प्यार करते थे, तो जब स्कूल से आते लगता ये मरेगी, जब ये मरेगी तब मैं कैसे जीपाऊंगा। ये सास्वत स्लम्मन्द नहीं है, तो कौन ऐसा है जो मेरा वास्तविक मिलकर सकता है, तो बस हदे से आता भगवान, भगवान से, तो फिर उन्हीं के लिए जीवन अरपित्वी, जो सच्चा मित्र है, उसी को प्राप्त करना है, उसी से प्यार करना है, और मृत्यों होने पर बड़ा दुख होता है, क्योंकि जिससे हमें प्रियता होती है, लगाव ह रखने की इच्छा होती है, और मृत्यों पास रहने देगी, नहीं, सदैव नहीं रहने देगी, यह बिछोड़े यहां बिछड़ना इस लिए फिर मन हट जाता है| और फिर लगता है कि ऐसी जगह लगाओ, जहां बिछड़ना ना हो तो वो है। श्री कृष्ण जी वो है किसोरी जी जहां मन लगा दो, तो फिर बिछड़ना नहीं होगा, वो हमारे मन में ही आ कर बैठ जाएंगे और सदा सदा के लिए आ कर बैठ जाएंगे। nextpage
bhajanmarg#65 – “महाराज जी, आप सदा पीले वस्त्र धारण क्यों करते हैं?”
bhajanmarg#65 :- भक्त :- मैं जानना चाहती हूँ कि मैंने आपको हमेशा पीले वस्त्रों में ही देखा है, महाराज जी इसका क्या रहस्य है?
महाराज जी :- श्री कृष्ण ऊपर भी ताम्रल धारण करते है ना और हमारी प्रिय जी का विरंग पीत और अरुणिमा लिए भी कंचन वरन की है तो उन्हीं के प्रिया और प्रीतम के उपासक है और हमारे गुरु ने हमको पीला वस्त्र दे दिया। तो सब जीतने सब पीले ही धारण करते है।
भक्त :- आपको जिज्ञासा हुई की बकबा पहनते है साधु संत लाल
महाराज जी :- हाँ वो सन्यासी होते है, हम वैष्णो है और वैष्णो में प्रिया प्रीतम की उपासना है तो प्रीतम का पीताम्बर और प्रियाजू का रंग दोनों मिलाकर के ऐसे हम। हम नीचे मार्किन पहनते हैं ऊपर बनियान और बस पीला, बस ये सब सबकी पोशाक होगी।
भक्त :- राधा रानी जी को पीला रंग पसंद है क्या जो महाराज जी पीला रंग पहनते?
महाराज जी :- राधा रानी को पसंद क्योंकि उनके। उन के प्रीतम पी तांबर दारण करते हैं। और राधा रानी का स्वयम का जो स्वरूप है अनन्त विजलियों किसी कामती प्यारी जुन सुन्दर है तो अपने प्यारे जुन और प्यारी जुन की कामती के भाव से हम इसे धारन करते हैं। nextpage
bhajanmarg#66 – “संतान के रूप में महान भक्त प्रकट हो, उसके लिए क्या करना चाहिए?”
bhajanmarg#66 :- भक्त :- महाराज जी हम सबी चाहते हैं कि हमारी संतान के रूप में एक महान भक्त प्रकट हो। उसके लिए हमें क्या करना पड़ेगा।
महाराज जी :- ये तो बड़े भाग्य होते हैं। पहली बात तो जिस दिन से गर्भ हा जाए, उस दिन से मा और पिता दोनों ब्रह्मचर्य रहें और साप्तिक भोजन पावें, तीर्थों का उगाहन करें, सास्त्र का स्वाध्याय करें, नाम जब करें और भगवान से पतार्थना करें तो जरूर भगवान का भगत गर्व से प्रगट हो सकता है, दूसरा कोई उपाय नहीं। वो भुमी पावन हो जाती, वो कुल पावन हो जाता, वो मा जय जय कार करने योगी हो जाती है, जिसके पुत्र भगवान का भगत पैदा हो. जो भगवान का नाम जब करने वाला भगत जिस कुल में पैदा हुआ, वो देष धन्य, वो गाउ धन्य, वो कुल धन्य, वो माताए पिता धन्य जिसमें भगवान का अनुरागी भगत. तो इसलिए कुछ नियमों का पालंग अगर करें और भगवान का भजन करें तो वोई संसकार गर्भस्त शिसू में पड़ेंगे तो जरूर न जरूर भगवान का भक्त या देश भक्त पैदा हो जाए तो जीवन करतार्थ हो जाए | nextpage
प्रतिदिन राधे जाप :-
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🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸

