bhajan marg

bhajanmarg#18

bhajanmarg#11

bhajanmarg#11bhajanmarg#11:-भक्त:-प्रिया प्रीतम से प्यार करें, वो पागल हो जाता है क्या?

महाराज जी:-आपको हम पागल न जाने। बात करते तो मतलब कोई सोचता है की ये क्या बात कर रहा हो? मतलब हम ले रहा है चिंतन। लौट। देखो अगर। हम बनावटी न करे तो हम पागल नहीं। बनावटी अगर हम कुछ करने लगेंगे, तो पागल है भगवान के मार्ग में। दंभ। पाखंड बनावट इससे। बचना। चाहिए। हमको ये जनाना नहीं किया तो हमको क्यों डिस्टर्ब करते हम नाम जब में डूबे हुए हैं? ये नहीं। भजन करने वाले को यह जताना नहीं कि मैं भजन में डूबा हूँ। जैसे। क्या आप बहुत सोच रहे थे? क्या सोच रहे? अरे ये चलता है कैसे? हाँ। बोलिए। आप क्या ऐसे बात की जाती है ये थोड़ी बताये

 

 

bhajanmarg#12

bhajanmarg#12:-भक्त:-महाराज जी मैं नौकरी करता हूँ, बट मेरे को अभी जब लगता है कि मैं रिटायर होऊंगा तो उसके बाद मैं करूँगा।

महाराज जी:- क्या हम ये आपसे पूछना चाहते हैं कि पढ़ लिख कर के नौकरी किसके लिए कि धन के लिए, धन किसके लिए जीने के लिए? लेकिन जी किसके लिए रहे हो? अब इसका उत्तर दे दीजिए। यदि आपके जीवन में भगवान नहीं हैं। आपके जीवन में प्रेम नहीं है, आपके जीवन में सच्चिदा आनंद नहीं है तो फिर वो यही क्रम की जी रहे हैं। रुपया कमाने के लिए रुपया कमा रहे हैं, जीने के लिए जी रहे हैं। भोगों के लिए हमें लगता है कि हमारे जीवन का उद्देश्य भगवान की प्राप्ति होना चाहिए। क्नॉइस या भगवान से मतलब नहीं रख पा रहे हो। मान लो अभी इतनी पवित्रता नहीं है, तो इतना तो हो जाए कि मनुष्य बनाऊं तो अब सुमर कुत्ता न बनूँ। इतना तो उद्देश्य हो ही जाए तो कम से कम हम इतना भजन तो कर लें कि हमें फिर मनुष्य शरीर मिले और हम फिर अच्छे कर्म करें और भगवान को रिचा लें तो इसलिए भजन करो। इसलिए भजन करो की ये जो पदवी मिली है जो सुख।

 

bhajanmarg#13

bhajanmarg#13:- महाराज जी:- वो सुबह सुबह उठे और कहा भाई आज यहाँ श्मशान होगा। कोई समझ ही नहीं पा रहा था कि मतलब क्या? और बस जा करके प्रवचन किया दो लोगों का कि जिसका जन्म निश्चित है उसकी मृत्यु निश्चित है। आत्मा का ना जन्म है, ना मृत्यु है तो कोई समझ नहीं पा रहा था कि मतलब क्या है इन इस लोगों का? वो सत्संग में बैठे आनंद ब्रह्मचारी प्रभुदत्त ब्रह्मचारी की भागवती कथा कह रहे थे। बाबा ऐसे शांत बैठे थे, इतने में वहीं आश्रम में रहने वाला एक भगवान दास नाम था। वो आया और उसने कहा लाओ मैं मोर छल करता हूँ, मना कर दिया की नहीं तुम्हें नहीं देंगे अब वो गया और जिससे चारा काटा जाता है वो गड़ासा छुपाके ऐसे लाया और बाबा के ऐसे छह इंच गड़ासा घुस गए। ऐसे चार पांच गड़ासे ज़ोर से मारे क्नॉइस। खुली चाँद बाबा की तो ऐसे फव्वारे जैसे उड़ते हैं ऐसे खून के फव्वारे उड़े बाबा।

 

bhajanmarg#14

bhajanmarg#14:-महाराज जी:- पापकर्म जो जानते हो कि ये सब पाप कर्म हैं, उन पाप कर्मों से बचो। आजकल तो बहुत गन्दी बातें चल गई, बहुत हानिकारक हो गई। ब्याह हो गया। पति दूसरी से, पत्नी दूसरे से। यह सब बहुत गलत गलत बातें हो रही हैं। और कितना सुन्दर पति हो उसको अपने पति पर संतुष्टता नहीं। कितनी सुन्दर पत्नी हो उसको अपनी पत्नी पर संतुष्टता नहीं। आज हमारे धार्मिक भारत देश में यह जो गन्दी बातें प्रचलित हो गई, कितना मतलब अनिष्ट हो रहा है। पति पत्नी पर विश्वास नहीं रह गया। पति वंचक पर पति रत कराई। रौरव नरक कल्प तत्पर है जो अपने पति को त्याग कर दूसरे पुरुष से सम्भोग करती है वह करोड़ों कल्प तक रौरव नरक में डाली जाती है। बहुत दुःख मिलता है। पर कौन? जब शास्त्र स्वाध्याय नहीं, मनमाने आचरण होते चले जा रहे हैं। इसलिए पुरुष को भी चाहिए अपनी पत्नी के सिवा किसी की तरफ गन्दी दृष्टी न करें। पत्नी को चाहिए अपने पति के सिवा किसी की तरफ गन्दा भाव न रखे। गन्दी दृष्टि करने से पाप बनता है। पाप, अशांति, दुःख, डिप्रेशन यही प्रदान करता है।

 

ज्ञान की बात:-

भगवान का भक्त स्वर्ग जाता है या नरक? :-

तो बहुत सुनने लायक बात है, भगवान के भक्त का नाश नहीं तो पहली बात तो नरक नहीं जाएगा। दूसरी बात स्वर्ग नहीं जाएगा क्योंकि स्वर्ग की उसने कामना नहीं की। मोक्ष होगा नहीं, क्योंकि इतना साधन नहीं हुआ तो उसका कुलवान श्रीवान ऐसे घर में जन्म होगा।जहाँ भक्ति का माहौल होगा, खूब ऐश्वर्य होगा और बचपन से उसे भक्ति का ऐसा अनुकूल वातावरण मिलेगा।

प्रतिदिन राधे जाप :-

राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
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राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे

🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸

bhajanmarg#15 to 18

Summary
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bhajanmarg#15 to #17
bhajna marg
भजन मार्ग 15 से 17 में प्रेमानंद जी महाराज द्वारा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का गूढ़ रहस्य समझाया गया है।
भजन मार्ग पर 11-14 तारीख़ के दिव्य भजन, प्रवचन और दर्शन की प्रेरणादायक झलकें इस पृष्ठ पर हैं।
premamand ji maharaj
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  1. Radhe radhe 🥰😘😘🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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