Bhajan Marg

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bhajanmarg#32  नाम जप (भाग-3)

bhajanmarg#32bhajanmarg#32 :- महाराज जी :- तीन करोड़ नाम जप करने वाले का हुदर पवित्र हुआ।और जो असाध्य चाहता की काम नहीं छोड़ सकते, ग्रोध नहीं छोड़ सकते, अरे ये तो बहुत बड़ी इपसम। सब साध्य होने लगा। जो चाहता है वो हो जाता, तीन करोड़ नाम जब करने वाले का।ऐसा संसार उससे प्यार करने लगता है जब तीन करोड़ नाम हो जाता है, येसे सगा भाई अपने सगे भाई से प्यार करता है। और उससे भी घनिष्ट, पूरा संसार उससे प्यार से देखता है, जिसके तीन करोड़ नाम रूपी धन हो जाता है। चार करोड़ जब नाम हुए।

 

bhajanmarg#33 नाम जप (भाग-4)

bhajanmarg#33bhajanmarg#33 :- महाराज जी :- चार करोड जप नाम हुए, तो सुख इस थान कौन है। हृदय, हृदय में सुख क्या है? भगवदानन्द। अब उसके अंदर भगवदानन्द का इस फुर्यन होगा। चार करोड नाम जप से, अमान, अपमान, लाभहान, दूख, सूख, द्वन्द जितने इनका कोई प्रभाव उसके हृदय में नहीं पड़ता। चार करोड नाम जापक के हरदय में।अब उसके अंदर अबार घ्यान की प्रतियुदह हो गई। पाँच करोड नाम जप में। जब पाँच करोड नाम जप किया, तो विद्या का प्रावधुरभाव हो गया।जो सास्त्रों में लिखा है, उसकी वानी से निकलेगा।अगर वो संसार चाहिता है, जो चाहेगा, पाँच करोड नाम जप में, पुत्रहीन, पुत्रवान हो जाएगा, आयुश्वान हो जाएगा, अगर जिसकी आयुशीन है,मूर्ख मनुश्य है, तो बहुत विद्वान सास्त्रों का हो जाएगा।कोई उससे द्वेस करता है, तो उसके सामने गुटने टेक गाएगा। बहुत से लाब उसके पाँच करोड नाम जप करने।चार करोड में स्वरूप बोध हो गया था।पाँच करोड में आवर जो चाहे।एक तो चाही नहीं ले जाती स्वरूप बोध के बाद। लेकिन अगर फिर भी आवस्चिक्त है, जो चाहे वो प्राप्त हो जाता है।

 

bhajanmarg#34 नाम जप (भाग-5)

bhajanmarg#34bhajanmarg#34:- महाराज जी :- 6 करोड़ नाम जप करते ही वो श्ये सत्रों पर विजए प्राप्त कर लिए दाएं।काम, क्रोध, लोब, मोँ, मद, मध, सर्व, इन पर विजए, स्वरूप, बोधवान, अपार, धन, संपत्य, स्वापनमे देव, देव, अंतरों के बड़े, बड़े महापुर्शों के दर्शन, अपार, आनन्दमें, 6 करोड़ नाम जप करने पर दुशाद्य रोग, अशाद्य रोग कभी नहीं ठीक होता संकल्प करे,6 करोड़ नाम जप करके तो ततकाल ठीक हो जाएं। अभी जो भाजिनानन्दी महात्मा इनके लिए कोई दुरिलब वस्तु है क्या? पर 6 करोड़ नाम इस नासवान सरीर के लिए लगामें, ब्रह्मास्त का परियोग मच्छर मारने के लिए, है? जब तक जीना है तब तक तु जी, 6 करोड़ नाम से बगवान की प्राप्ति करेगी की इसे 

 

bhajanmarg#35 

bhajanmarg#35bhajanmarg#35:- भक्त :- हमारा मन विवाधी का नहीं है और कोई रुच्ची भी नहीं है। शरीर समंदी को थोड़ी चिंता हो जाते हैं कि बुढ़ापे में कौन समालेगा, कौन देखेगा और कभी-कभी गवराट भी हो जाते हैं कि इस जनम चूक होई और प्रियापीतम के दर्शन फिर नहीं हुए, तो फिर क्या सकते हैं। 

महाराज जी :- (तो भरोषा रुखो। तो हमें पहली बात तो यह नहीं सोचना चाहिए कि बुढ़ापे में मेरी सेवा कौन करेगा।जिसके लिए हमने जवानी दी, तो वही बुढ़ापे में आएगा।अच्छा माललो हमारा ब्याह हो गया और पती मर गया तो, (जब प्रभु के चरणों का हम भरोषा कर लेते हैं, तो फिर यह प्रशन नहीं होना चाहिए कि मेरी बुढ़ावस्था में कौन सेवा करेगा। नहीं, यह नहीं सोचना चाहिए, हमने जीवन भगवान को दिया है, अगर वो तडब-टडब करके मरने का उसर आएगा, तो हम तडब-टडब कर उनहीं को पुकारेंगे राधा, राधा और मर जाएंगे| 

 

bhajanmarg#36 

bhajanmarg#36bhajanmarg#36:- महाराज जी :- एक बार श्री विठ्थलनाद कुष्वामी जी से किसी धनी मानी ने पूछा बहुत कंजुष आदमी था। होते न कभी कोई कोई कोई बहुत कंजुष शुबाव के होते हैं। तो उसने कहा एक पैसा न लगे और भगवान की सेवा हो जाए और भगवान प्रसंद हो जाए। है ऐसा कोई उपाय।कुले हां उपाय है मांसिक सेवा, एक पैसा नहीं लगता। तो बताया पद्धती, ऐसे ऐसे मांसिक करो।तो कुछ दिन हो गए, तो एक दिन उसने मांसिक में दूद में चीनी डाला, तो थोड़ा ज्यादा हो गई। तो उसको थोड़ा चुबा कि चीनी ज्यादा हो गई।खन्जुस स्वभाव था, तो ठाकुर जी ने एक ठपड मारा प्रगट में। तो ठाकुर जी प्रगट हो गए, और कहा, मांसिक में तेरे पैसा कहा लगता। मांसिक चीनी ज्यादा हो गए, तो तेरे को बुरा क्या लगा।भता ठाकुर जी मांसिक सेवा को शोयकार करते हैं, पक्का शोयकार करते हैं, पर मांसिक सेवा का स्वरूप तभी माना जाता है, जब मांसिक इश्ट दिखाई दे, जैसे मैंने हम ऐसे बैठें, तो मारे सामने हमारे प्रिया प्रीतम हैं मांसिक, तभी तो उनकी सेवा होग है, वास्तवित जो प्रगट में आप भोग अरपीत करते हैं, वैसे ही लाब आपको मिलेगा, तो देखो एक पैसा का खरचा नहीं, और पुर्णि बहुत बढ़ा लाग, तो थोड़ी देर बैठे करना चाहें, जो चाहो मन चाहा खुब, सेवा हो सकती है बिना पैस देके, और भगवत प्राप्ति पक्की. 

प्रतिदिन राधे जाप :-

राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
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राधे

🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸

bhajanmarg#37 to #40

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premamand ji maharaj
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