Bhajan Marg

premanand ji maharaj bhajan

bhajanmarg#40- पूज्य महाराज जी ने 16–17 वर्ष पुराना अनुभव सुनाया।

bhajanmarg#40bhajanmarg#40 :- महाराज जी :- वो 16 – 17 वर्ष पहले के बाद। हालत ऐसी खराब कि शरीर उठने लायक नहीं। स्वयम पानी लेके पीना है, स्वयम रोटी मांग के खाना है। दवा के लिए पैशे नहीं। एक आदमी हमारे पास नहीं।सैमसी है, जहां गुरु आश्रम पहले था, बच्चापन से जहां जुड़े थे। वहां के लोगों को पता चला तो गाड़ी भर कर लोग आये। उनका हम ऐसी दस्सा में आपको बृंदावन नहीं रहने देंगे। आप चलिए, हम सब पुरे गाउंवाले आपकी सेवा करेंगे। पुरा गाउं चंदा लगा कि चाहे लाखो रुपे महिने की दवा चले, आप चिंता न करो। नहीं, हम मरने वाले हैं, तो प्रभु के लिए। हम जियें, तो प्रभु के लिए। ये नहीं कि हम धाम छोड़ दें, अपना निष्ठा छोड़ दें।और जब वो गए, तो निष्चे किया, मुझे मरना है, लेकिन भगवान के लिए मरना है। ए, बदल गया, देख लिए आप। ये वो व्यक्ति है, जिसकों मांगने से रोटी भर पेट नहीं मिलें।आज 500 आदमियों का बाल भोग बनता है, 500 आदमियों का राज भोग बनता है, 500 आदमियों का सैन भोग बनता है। हमें अपने मालिक पर विश्वास रखना चाहिए, कि उसका वैभो कितना बड़ा है।उसका देखो, आज एक बच्चा हमें पानी पिलाता है, तो दूसरा बच्चा हमारा मुँ पोचता है।सेखनों बच्चे ये सब नोकरी पेसा वाले, सब सरकारी नोकरियां छोड़कर हमारी सेवा में हैं, और एक दूसरे से होड लगी रहते हैं, कि यार तुम सेवा तो कल की ज़्यादा की त्याज मैं करूँगा। अपना बाब का पैदा किया हुआ बेटा भी सेवा करना नहीं चाहता अपने बाब की, और ये अन्य बाब से पैदा हुए, और ये सेवा कर रहे हैं, हमारे लिए जीवन हमको दे दिये। (next page)

bhajanmarg#41 – Virat Kohli & Anushka Sharma से पूज्य महाराज जी की क्या वार्तालाप हुई?

bhajanmarg#41bhajanmarg#41:- भक्त :- महाराज जी वो विराट कोहली और अनुष्का शर्मा आए थे।

महाराज जी :- प्रसन हो।

विराट कोहली :- हा जी हम ठीक हैं ।

महाराज जी :- आ, नहीं, ठीक ही रहना चाहिए। जब प्रभु किसी पर कृपा करते हैं, ये वैभो बढ़ना या यस बढ़ना ये भगवान की कृपा नहीं माने जाती है।भगवान की कृपा माने जाती है अंदर का चिंतन बढ़ना। भगवान जब कृपा करते हैं, तो शंत समागम देते हैं।दूसरी जब कृपा होती हैं, तो विपरीतता देते हैं।और फिर अंदर से एक रास्ता देते हैं। ये मेरा रास्ता है। ये परम शांती का रास्ता है।ये शांती का रास्ता नहीं। भगवान वो रास्ता देते हैं, और जीव को अपने पास बुला देते हैं। बिना प्रतिकुलता के संसार का राग नश्ट नहीं होता। कभी प्रतिकुलता आये, उस समय आनंदित हो कि मेरे उपर आप भगवान की करपा हो रहे हैं।कि मुझे सत मार्ग में चलने की पेरणा मिल रहे हैं। भगवान स्री कष्ण ने गीता में कहा है कि मेरे भक्त का नास नहीं होता। आननद पूर्वग भगवान का नाम जप करो।  (next page)

अनुष्का शर्मा :- क्या नाम जप से हो जाएगा?

महाराज जी :- पूरा, यह हम अपने जीवन का अनुभव बताते हैं हम सांख योग, अश्टांग योग, कर्म योग, इन तीनों को अच्छी प्रकार जान करके और फिर भक्ती योग में आये हैं.सेक्ती है भग्वान शिव, राम, राम, राम, राम, राम जपते रहते हैं हम बृनदाविनाव शिव, हम राधा, राधा राधा, राधा.. भावुकता में राधा, राधा का प्रचार नहीं कहरे fail or instruction के लिए अनुभव बताते हैं क्रीक है?  (next page)

bhajanmarg#42 – “क्या अध्यात्म विज्ञान के विरुद्ध है?” 

bhajanmarg#42bhajanmarg#42:- भक्त :- महाराज जी मैं वैज्ञानिक हूँ महाराज जी जब कभी सिद्ध संतो के किसी दावे के विरुद्ध कोई विज्ञान अपने प्रमाण देता है तो मैं। (next page)

महाराज जी :- पहली बात पे इतना समझो की जो विज्ञान है क्नॉइस। उपांच भौतिक शरीर तक सीमित है, इसके आगे नहीं इसकी गति आज तक कोई मशीन बनी हो जो मन का अल्ट्रास्रावण कर सके, मन का एकसरा कर सके, बुद्धि का कर सके चित्र का कर जहाँ विज्ञान समाप्त होता है वहाँ से अध्यात्म शुरू होता है। तो अगर आप अपनी बौद्धिक स्तर से किसी का परीक्षण करना चाहेंगे जो अध्यात्म में स्थित है। तो नहीं कर सकते? सच्चा साधु कोई दावा ही नहीं करता है। नौटंकी नाटक करने वालों के दावों को हम साधु के दावे नहीं कहते, मैं ऐसा कर सकता हूँ, वह अहंकारी है, साधु अहंकारी नहीं होता, साधु ज्ञानी होता है और दूसरी बात जब बड़े बड़े प्रार्थो को शांत अपने भोगते हैं, क्नॉइस तो तुम्हारे प्रार्थ को नष्ट करने के उपाय बताएंगे कि राम का नाम जप करो, धर्म से चलो पाप कर्म मत करो ऐसे ऐसे चलो ऐसे कि मैं तुम्हें बसम दे दूंगा, मैं तुम्हें जंतुर दे दूंगा, मैं तुम्हें कलावा बांध दूंगा या मैं ऐसा कर सकता ऐसा नहीं। हमारी दोनों किडनी फेल है, हम जंतु थोड़ी बनवाते डायलीसिस करवातें हम राख थोड़ी खाते हैं, टैबलेट खाते हैं। भगवान ने वैज्ञानिक बनाए हैं। वैज्ञानिक ने यंत्र बनाया है, औषधियों बनाई है हमें डॉक्टर की शरण जाना चाहिए क्योंकि इस पांच भौतिक शरीर के रोगों का निदान डॉक्टर से है ना कि छू से जन्तर मंत्रों से पानी और राख देने से ऐसे ऐसे नहीं होता है। (next page)

प्रतिदिन राधे जाप :- 

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राधे 

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Summary
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bhajanmarg#15 to #17
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भजन मार्ग 15 से 17 में प्रेमानंद जी महाराज द्वारा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का गूढ़ रहस्य समझाया गया है।
"प्रेमानंद जी महाराज द्वारा भजन मार्ग का सुंदर वर्णन, भक्तिरस और आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण।"|
premamand ji maharaj
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bhajanmarg#40,#41,#42
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