bhajanmarg#55 – क्या संतान को जन्म देना आवश्यक है?”
bhajanmarg#55 :- भक्त :- क्या बच्चे करना ज़रूरी है महाराज जी ?
महाराज जी :- संतान भी एक योग होता है अगर आपके चार संताने होनी है तो होनी है नहीं होनी है तो आप चाहे जितना डाक्टर को दिखा लो रुपया लगा के दवा ले लो नहीं होनी वाली हमें इस पर ज़्यादा विचार नहीं करना चाहे कि हमें संतान करना है या नहीं करना यह तो विदान पहले से हो गया नहीं होना है तो तुम्हारे दोनों के मन में आजाएगा कि अब हमें करना ही नहीं है वो आजाएगा क्योंकि होना नहीं है अगर होना है तो हो जाएगा संतान हो जाएगा देखो भगवत प्राप्ती ऐसे नहीं होती कि ये सब छोड़ दो और भगवत प्राप्ती ऐसे करने से होती क्या केवल वेस रखने से भगवत प्राप्ती हो जाती या गुफा में रहने से भगवत प्राप्ती हो जाती या फलार करने से भगवत प्राप्ती हो जाती हमें भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि आप जिसमें खुश हो वही आचरण मेरे से हो अगर संतान उत्पन हो करके उसके पालन पोशन में आप खुश हो तो आप ऐसा करवा दो और अगर नहीं खुश हो तो आप बिलकुल मत करवा हो हे नाज मेरे जीवन का लक्ष है आप की प्राप्ती आप जैसे प्राप्त हो जाते हो वो सुगम मार्ग मुझे दे दो मुझे कुछ पता नहीं कि आप कैसे प्राप्त होते हो आप जैसे प्राप्त होते हो वैसे मुझे मार्ग दे दो ये मुझे अच्छा लगता है जोई जोई प्यारो करें स्वें महे भावें| nextpage
bhajanmarg#56 – शराब पीकर क्या खो रहे हो, कभी सोचा है?”
bhajanmarg#56 :- महाराज जी :- जैसे आप शराब पीते हैं तो ये आदतें आपका नाश कर देंगे। आपको पतीत कर देंगे आपके शरीर के हानि, आपकी बुद्धि के हानि, आपके धन के हानि एक भी लाभ किसी को रहे तो शराब क्यों पीओ बोले थोड़ा सा गम मिटाने के लिए तो भगवान का नाम जब करो ना भगवान के नाम का कीर्तन करो ना। भगवान की कथा सुनो ना सत्संग सुनो ना उसे तुम्हारा बुद्धि शुद्ध होगी और शोक नष्ट हो जाएगा, लेकिन लोग सतमार्ग का नहीं करते। वैसे भी जो शराब पी रहे हैं, उनके अंगों में जाकर के को प्रभावी दिखाती है। लिवर है, किडनी है, दिल है तो इसमें लाभ क्या है? क्नॉइस। और परिणाम शराब पी करके फिर आप परिणाम देखो कहीं नाली में पड़ा है कहीं ऐसे लड़खड़ा रहा है एक आदमी को शराब पी के देगा की वो सैकल को एक छोटी सी नाली नहीं। नहीं पार करा पाया, और खुद साइकिल से खुद उसी में गिर गया, अब इतनी तो सामर्थ हिंता पैदा करती है, रुपया खर्चा होता है, असम्मान मिलता है, असम्मान की हानि होती है, तो क्यों पी हो? nextpage
bhajanmarg#57 – राजा ने भक्त सदन कसाई जी के हाथ क्यों कटवा दिए थे?”
bhajanmarg#57 :- महाराज जी :- श्री सदन कसाई जी जगन्नाथपुरी जा रहे थे दर्शन करने तो रास्ते में घर में आवाज लगाई भिक्षाम देह एक नौ वधु निकली। उस नौ वधु ने जे भी देखा वह लूट गई। उसने कहा यहीं पा लीजिए, अब संत सरलचित बैठ गए। संध्या का समय था प्रसाद। उस स्त्री ने हाथ जोड़ा और कहा महाराज जी अगर रात्रि यही सहन कर लो और सुबह आप बड़ी श्रद्धा देखी तो अब रात्रि में जब शयन की स्थिति में तो वो आकर अपनी काम वेदना प्रकट की उनका देवी क्नॉइस। आपके पति हैं, आप ऐसी चेष्टा करते हैं, उसका उल्टा दिमाग चला की मानो ये कह रहे हैं आपके पति अगर पति ना होते तो उसने अपने पति की हत्या कर दी। सोते हुए फिर आये और कहा अब स्वीकार करो उनका दुष्ट अगर मैंने हल्ला मचा दिया तो तुम्हारी अभी दुर्गति हो जायेगी। उन्होंने कहा, नहीं, मैं धर्म विरुद्ध आचरण नहीं कर सकता, मृत्यु को स्वीकार कर सकता हूँ। उसने हल्ला मचा दिया लोग एक क्या हुआ ये हमसे गलत करना चाहता था। हमारे पति ने रोका, पति को मार डाला और फिर गलत करना चाहता तो मैं हल्ला मचा दिया और वो सदन जी जय जगन जय जगन भगवान आप देख रहे हो लोगों ने। हमारा पीटा, बंदी बना लिया राजा के पास ले गए। राजा ने जब ऐसी बात सुनी देखा की भक्त है तो दोनों हाथ कटवाकर फांसी तो नहीं दी पर छोड़ दिया। एक भी अपराध नहीं है इसमें लेकिन। पूर्व में जीस कर्म से कसाई। बने आके कोई ना कोई पाप कर्म रहा ना वही हाथ। कटवा लिए जय जगन्नाथ जय। जगन्नाथ जी पहुंचे। तो अब तो हाथ भी नहीं जोड़ सकते तो ऐसे। nextpage
प्रतिदिन राधे जाप :-
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राधे
🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸

