bhajanmarg#67 – “जब पाप-पुण्य का फल स्वर्ग-नरक में मिलता है, तो धरती पर सजा क्यों?”
bhajanmarg#67 :- भक्त :- महाराज जी, अगर स्वर्ग और नरक में हम पुन्य और पाप के फल भोगते हैं, तो हम धरती पर कौन से पापों और पुन्य का पाप भोगते हैं?
premanand ji maharaj :- जब सजा होती हैं, तो जुर्माना भी होता है कि नहीं होता है। दस साल की सजा एक लाख रुपया जुर्माना। अइसे ही सेश बचे हुए कर्मों को जो जुर्वाना रूप होते हैं वो याम रत्यू रोक में भोगना पड़ता है बक्या पुर्ण हिसाप की ताप तो नरक और स्वर्ग में होता है। बचे हुए पाव जो पुर्ण और पाप ओरते हैं उनसे मिश्रित मानोदे वरनता है पुर्ण दे देव दे पाप दे यातना दे मानोदे इसमे कुछ पाव और कुछ पुर्णर मिला कर बनाया जाता है जिसे कवी सुख क, कवी दुख, कवी सुख, कवी दुख ये पूरे जीवन चलता रहता है लेकिन देवलोक में दुख नाम की चीज नहीं है नरक में सुख नाम की चीज नहीं है यहां सुख और दुख दोनों हैं अगर भजन कर लो तो पाप और पुर्ण दोनों को नष्ट करके परम सुख को प्राप्त हो सकते हो जो सुख और दुख दोनों से परे है ये मानों देह में विशेस योगिता है कि वो भगवान का भजन करके शुभ और अशुभ को नष्ट करके वो परमात्मा प्राप्ती कर सकता है वो अत्यंतिक शुक प्राप्त कर सकता है ये न देव शरीर में है न यातना देह में है ये केवल मानों देह में ही सुविधा है कि आप भजन करके भगवान को प्राप्त हो सकते हैं| nextpage
bhajanmarg#68 – “महाराज जी, आपकी सेवा का अवसर कैसे प्राप्त हो सकता है?
bhajanmarg#68 :- भक्त :- श्री हरिवंश महाराज जी महाराज जी ऐसा क्या करें की आपके प्रति सेवा बने?
premanand ji maharaj :- राधा राधा इससे बड़ी कोई सेवा नहीं हमें जो चाहिए आपसे वो चाहिए की आपका कल्याण हो जाए आपका मंगल हो जाए राधा राधा राधा बस ये चाहिए हमारा प्रेमी वही है हमारा मित्र वही है। हमारा रिश्तेदार वही है, हमारा शिष्य वही है। हमें सुख देने वाला वही है जो अपने आचरणों को सुधार कर नाम जप कर रहा है। बस आप सुखी हो, हम अच्छे है नहीं, हमारा बैठना किस काम में आया, हमारा बाबा जी बनना किस काम में आया? अगर आप लोग अच्छे आचरण स्वीकार कर रहे है आप सही चल रहे है। तो हम अपने को धन्य मान रहे। ये हमारा साधु वेश धारण करना धन्य हो गया। हमारा जीवन धन्य हो गया कि चार लोग सही ढंग से हमारे आदेशानुसार चल रहे हैं। यही प्रशनता हमको चाहिए कि आप अपने आचरन सुधारो आप अपने माता पिता को सुख दो आप नाम जप करो स्वस्त रहो शुकी रहो यही हमारी भैठ है यही हमारे को सुख देना है| nextpage
bhajanmarg#69 – “माता-पिता की एक गलती, पूरे परिवार का जीवन बर्बाद कर सकती है!”
bhajanmarg#69 :- premanand ji maharaj :- बहुत पुराने समय में गांव में नौटंकी होती है ना नौटंकी में एक नाटक देखा था सुल्ताना डाकू उसे सुल्ताना डाकू पे बनाया गया था। सुल्ताना डाकू था बहुत बड़ा डाकू था उसको जब फांसी की सजा मिली अंग्रेजों का राज्य था। तो उनसे पूछा गया तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या है तो उन्होंने कहा हमें माँ के गले लगना है, उनकी माँ बुलाई गई, वो रोती हुई आई, जब गले लगी तो दांत से मुँह में नाक काट ली। उसने तो पूछा कि क्यों ऐसा क्यों किया? तो बोले, जब मैं कच्छा एक में था, एक कलम चुराके लाया था तो माँ ने कहा था, स्याबाज़ बच्चा लिखने के काम में आएगी तो मैंने समझा अच्छा है आज मैं सुल्ताना डाकू बनाऊं तो इस माँ के कारण बनाऊं। अगर ये पहली कलम में हमें थप्पड़ जमा देती तो आज मैं फांसी में न चढ़ता, मैं आज गलत कार्य में न जाता। तो बच्चे की जीवनी बनाने वाले माता पिता ही होते हैं। यदि प्रारंभ से बच्चे को पूजा में बैठालना सथुगुणी बातें से सिखाना, सास्ट्र शुनाना, संशकाल सही न हो, तो जवाणी में समालना कठिन होता है, जवाणी में तो उन्माद वास्ता होती, फिर नहीं समाला जा सकता, बादल्यावस्ता से बच्चे को समहला जाए तो वो महान बन जाएगा। nextpage
प्रतिदिन राधे जाप :-
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🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸


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