Bhajan Marg

premanand ji maharaj sddefault

bhajanmarg#73 – “क्या अच्छे-बुरे कर्मों का फल तुरंत मिलता है?”

bhajanmarg#73 :- भक्त :- महाराज जी क्या पिछले अच्छे कर्म वर्तमान में कुछ हमें अच्छा देके जाते हैं। या वर्तमान में क्यों होगा अच्छा कर्म ।

Premanand ji maharaj :-  वर्तमान का अच्छा कर्म तदकाल तो शानति देगा लेकिन परणाम आगे देगा।तत्काल फल नहीं मिलता है। नहीं तो अच्छे कर्म करने वाले दुखी देखे जाते हैं। बुरे कर्म करने वाले कहीं कहीं सुखी देखे जाते हैं। तो वर्तमान में वो बुरा कर रहा है तो उसका परणाम भविष्य बुरा होगा। वर्तमान में बहला कर रहा है तो उसका परणाम भविष्य अच्छा होगा। वो हो सकता है अगले जन्म मिलें। लेकिन अभी वर्तमान में जो हमें भोगने को मिलेगा वो पूर्व कर्म का मिलेगा। हम बुरा करें या भला करें उसका कोई परणाम अभी नहीं मिलेगा। अब उसका परणाम में मिलेगा अच्छा करेंगे तो अभी ह्रदय में सीतलता होगी। बुरा करेंगे तो ह्रदय हमारा जलेगा। लेकिन कर्म का परणाम आगे प्राप्त होगा। हमारा शरीर जब रचा गया तो दो कर्मों से रचा गया पाप और पुर्णे। तो पूरे जीवन भर उस रचना का भोग हमें भोगना पड़ेगा। आपके आज के करने से उस पे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। हाँ एक फर्क पड़ जाएगा भजन से। यदि आप भजन करोगे, भगवान का नाम जब करोगे, तो आपके अशुब नस्ठ हो जाएगे, पाप नस्ठ हो जाएगे, प्रारद को शहने की सामर्थि मिलेगी और आप आगे निकल जाएगे। nextpage

bhajanmarg#74 – “भगवान के नाम का Tattoo बनवाना सही या गलत? महाराज जी ने बताया!”

bhajanmarg#74 :- Premanand ji maharaj :- यह आपने जैसे लिखा है महादेव, यह आपका बाया हाथ है, लेफ्ट है, सौंचने में इसका प्रियोग होता है।

भक्त :- जी 

Premanand ji maharaj :- आप जब नहाते हैं, तो इसका जल निकलकर पैरों में भी जाता है। तो कहीं न कहीं अपराध बनने के संभावना होती है। तो हमें लगता है, हम निशेद करते हैं कि भगवन नाम और भगवद रूप के टेटू न बनवाए जाएं।

भक्त :- जी 

Premanand ji maharaj :- क्योंकि उससे ठीक नहीं रहता। तो तृशूल को फूल बनवा दीजिए।

भक्त :- जी 

Premanand ji maharaj :- और जहां महादेव लिखा हुआ है, वहां कोई चित्र बनवा लीजिये, संसारिक बनवा लीजिये या फूल बनवा लीजिये। इसको एक बार हमारी सलास है। 

भक्त :-  ठीक है महाराज जी| 

Premanand ji maharaj :- और यह क्या लिखा है?

भक्त :- यह प्लेस्ट।

Premanand ji maharaj :- चलेगा, यह चलेगा। 

भक्त :- अगली बार आएंगे तो यह आपको अच्छा है|

Premanand ji maharaj :- ठीक है।

भक्त :- ठीक है महाराज जी राधे राधे। nextpage

bhajanmarg#75 – “मोबाइल बच्चों को देना है मजबूरी, लेकिन ये सावधानियाँ ज़रूरी!”

bhajanmarg#75 :- भक्त :- बच्चों को मोबाइल देना भी मजबूरी है महाराज जी।

Premanand ji maharaj :- आप मोबाइल तो दीजिए लेकिन उनको शिक्षा दीजिए कि गलत चॅप्टर मोबाइल का ना देखें, उनको सत्संग सुनाएं, उनको थोड़ा नाम जब कराइए अध्यात्म से जब तक नहीं जुड़ेगा तब तक नहीं। ऐसे कितने बच्चे सामने आते हैं जो अध्यात्म से जुड़े हुए हैं? सर्वांग पुष्ठ जवान है। लेकिन गलत नहीं है,

भक्त :- लेकिन बाबा इन बच्चों को टाइम कहाँ से दें? सुबह 6:00 बजे से और शाम के 7:00 बजे तक ट्यूशन स्कूल तो अध्यात्मिक का टाइम ?

Premanand ji maharaj :-  नहीं अध्यात्म के लिए हम लगता है कि अगर 30 मिनट केवल निकाल दिए हैं, 12 घंटे पढ़ाई समझ लो, इससे ज्यादा कोई पढ़ेगा।

भक्त :-  जब हम वहाँ जाते हैं ना संसार में जब ग्रस्त रह जाते हैं तो बहुत मुश्किल होता है ये टाइम निकालना |

Premanand ji maharaj :-  हमें तो नहीं लगता ऐसा 6 घंटे सोने के बाद अगर हमारे 18 घंटे बचते हैं तो 18 घंटे में 2 घंटे भोजन के रख लीजिए। 1 घंटे मनोरंजन के रख लीजिए कोई इतना अगर पढ़ें शेष समय। मतलब 15 घंटे 15 घंटे कौन पड़ेगा, दिमाग खराब हो जाएगा, इतना थोड़ी पड़ेगा तो क्या होता है? समय को हम सार्थक नहीं कर समय की क़ीमत नहीं समस्तें, उनकों बैठ के समझाएँ. अगर हमें लगता है बच्चों को शासण में रका जाएं और पयार किया जाएं, दोनों बाते की जाये, एक मित्रवत प्यार किया जाये और शासन में रखा जाये तो सायद हमें लगता है ऐसा नहीं है कि समय नहीं है। nextpage

bhajanmarg#76 – “दूसरों की तरक्की से जलन क्यों होती है?”

bhajanmarg#76 :- Premanand ji maharaj :- हमारे प्रतिकूल वो बोल रहा है, हमारा मन स्वीकार कर रहा प्रतिकूल बोल रहा है, हमें जलन होगी, उसको रोक कौन सकता है? अगर भजन हो रहा है तो हमारी बुद्धि काम करेगी की मेरे किसी पूर्व पाप का प्रायश्चित कराने के लिए भगवान इसको निमित्त बनाए हैं। एक कटु वचन बोलकर मेरे पापों का नाश कर रहा है। इसमें इसका तो कोई दोष है नहीं। हम उसको सह लेते हैं, हम से आगे निकला जा रहा है, अरे उसका पुण्य है, उसने प्रयत्न किया है, उसने तपस्या की है तो आगे वो निकला जा रहा है। हम खुद भजन करें, हम उससे आगे निकल जाएंगे। ईर्षा करने की जरूरत क्या है तो बहुत से ऐसे विकास। ऐसे विकार है जो बिना भजन के नष्ट नहीं होते। इसलिए नाम जप करो और सत्संग सुनो तो उससे परिवर्तन हो सकता है अपनी कोशिश काम नहीं करेगी। nextpage

प्रतिदिन राधे जाप :-

राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे राधे
राधे

🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸

 

Summary
Bhajan Marg
bhajanmarg#15 to #17
Bhajan Marg
भजन मार्ग 15 से 17 में प्रेमानंद जी महाराज द्वारा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का गूढ़ रहस्य समझाया गया है।
“भजन मार्ग: प्रेमानंद महाराज के आध्यात्मिक भक्तिमय सत्संगों का मंच।”
premamand ji maharaj
Publisher Name
bhajanmarg#73, bhajanmarg#74, bhajanmarg#75, bhajanmarg#76,
Publisher Logo

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *