Bhajan Marg

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bhajanmarg#83 – “गुस्सा आता है तो लगता है… सब खत्म कर दूं!”

bhajanmarg#83bhajanmarg#83 :- भक्त :- महाराज जी लोगों का जब काम निकल जाता है, तो मुझे गलत बोलने लगते हैं। उस वक्त मुझे इतना गुस्सा आता है कि सहेन नहीं हो पाता। और ऐसा लगता है कि मर जाओं या मार दूं।

Premanand ji maharaj :- अगर आप अच्छा करती हैं, तो क्या ये अच्छाई है? अच्छा का परिणाम अच्छा होना चाहिए। आप अपनी कामना और स्वार्थी की बुद्धी रख करके जो दूसरों की साथ व्यवहार करती हैं, उसे अच्छा नहीं कहते हैं। अगर वास्तविक अच्छाई है, तो हम लोटकर धन्यवाद भी नहीं सुनना चाहेंगे। हम आपका हित करेंगे।आप क्या करते हैं मुझसे, इससे मतलब नहीं। मैंने भगवान को शाक्षी करके आपके लिए अच्छा व्यवहार किया। वो उसका भगवान मुझे परिणाम देंगे, हमें आपसे धन्यवाद की जरूरत नहीं है। अब वो अगर हमें पलट कर गाली देता है, तो हमारी अच्छाई यही है, हम मुश्कुरा के चल देंगे, उसको उत्तर नहीं देंगे, उसका बुरा नहीं चाहेंगे। अध्यात्मों को समझेंगे। अगर अध्यात्मों को नहीं समझेंगे, तो देखो कितना बुरा भाव आ गया आपके अंदर। हमारी अच्छाई तो तब है, जब हम अच्छा करें, और वो हमारे साथ बुरा भाव रखे, फिर भी हम अच्छा करें, तब तो हम अच्छे होई हैं ना। जब हम अच्छाई पर उतरें हैं, तो हमें बुराई परास्त ना कर पावें। आपको बुराई ने परास्त कर दिया। क्योंकि परिणाम में आपके अंदर बुरा भाव आ गया। ऐसा है। ना अपने को ना उसको।वो तेरे विचार हैं।मैं तेरा मंगल करती रहूंगे। तुझे सदवी मंगल मनाती रहूंगी।अब यह तेरे विचार है कि तो हमारा मंगल मनाए, तो हमारे परती बुरा भाव रखे, तो वो भगवान देखेंगे।आपने बीच में कहीं भगवान को नहीं लाए, इसलिए आप परेशान हो जाती हैं। अगर भगवान को बीच में लेया हैं, कि मेरी अच्छाई का फल मुझे भगवान देगा, और तेरी बुराई का फल तुझे देगा, तो निश्चित समझो, भगवान आपको सहयोग करेंगे, आपके दर्क्षा करेंगे। nextpage

bhajanmarg#84 – “सच्चे संत कैसे मिलते हैं?”

bhajanmarg#84bhajanmarg#84 :- Premanand ji maharaj :- क्या करें जिससे हमें सच्चे संत मिले और उनसे हमारा कल्याण हो? आपकी प्रबल श्रद्धा और उत्कंठा हो कि मुझे सच्चे संत मिले। भगवान आप पर कृपा करें। पहले फिर आपको सच्चे संत जब द्रव्य ही दीनदयाल उराघो साधु शंकर संतो का संग ऐसे नहीं है। जब आपकी प्रबल श्रद्धा और चाह हुई या प्रबल पुण्य एकत्रित हुआ तो भगवान की कृपा हुई और फिर तुम्हें साधु समागम मिला। सच्चे संत भगवान की कृपा से मिलते हैं। संत मिलन की तीव्र आकांक्षा करो, भगवान से पुकारो। आप सच्चे संत का हमें संघ दे दो, संत मिलन के लिए भगवान से प्रार्थना करो, आराधना करो जब भगवद् कृपा हो जाएगी या तुम्हें वहाँ पहुँचा दिया जाएगा या वो संत तुम्हारे पास शुयम आ जाएँगे और तुम्हारा परम कल्यान हो जाएगी, संत मिलन का मतलब है परम कल्यान, अप निश्चित भगवत प्रार्थनी हो जाएगी। nextpage 

 

bhajanmarg#85 – “जो कर्म किया है, वही लौटेगा… तैयार रहो!”

bhajanmarg#85bhajanmarg#85 :- Premanand ji maharaj :- हम सबको कह रहे हैं कि होश में हो जाओ, तुम कसाईवाड़े में हो। कसाईवाड़े में कौनसे पशु का नंबर कब आता है ये तो आश्चर्य की बात थोड़ी है। वो हरी हरी घास का पंखा के नीचे है, वो समझ रहा मैं बड़ी मौज में मौज में नहीं, अगला नंबर तुम्हारा है। कोई गर्भ में मर जाता है, कोई गर्भ से बाहर आके मर जाता है कोई बाल्या उस्ताद मर जाता है कोई जवानी में मरता है कोई बुढ़ापे में मरता है मरना तो है ही और अपने कर्म के अनुसार मरना ही पड़ेगा तुम्हारे बाप मर गए तुम्हारे बाबा मर गए तुम भी मर जाओगे ऐसे क्रम है उनसे लड़के उत्पन्न हुए वो सयाने हुए, वो मरे उनसे उत्पन्न हुए वो सयाने हुए, वो मरे ये कर्म चल रहा है कार में बैठे जा रहे है फिल्मी गाना सुनते चले अक्सीडेंट हुआ पूरा परिवार मर गया तुमने जो कर्म किये तुम्हारी आयु है 30 वर्ष तो 30 वर्ष के बाद एक सेकंड नहीं बढ़ सकती इसका नाम मृत्यलोक है, यहाँ सब चाट जायेगा, मृत्यु किसी को बक्सेगा नहीं।

भक्त :- कोई मरना नहीं चाहता और किसी अपने पारिवारिक जनों को 

Premanand ji maharaj :- कबूतर ने देखा बिल्ली आ रही तो आँख मूँद लिया की है ही नहीं बिल्ली तो बच जाएगा क्या वो तो फड़ के खा जाएगी तो ऐसे है की हम मृत्यु की बात सुनना नहीं चाहते हम मरना नहीं चाहते तुम्हारे चायने से है अब तो गड़ासे में आ गए हो काटे जाओगे पक्का काटे जाओ। कैंसर दिल फेल, किडनी फेल, ये सब क्या है? मृत्यु के गढ़ा से है, मार रहे हैं, पूरे जगत को मार रहे हैं और हम फूंक भी रहे हैं। दूसरे के शरीरों को, लेकिन यह ज्ञान नहीं कि यह मेरी भी दसा होगी, मेरे शरीर की भी यह दशा होगी। आज से पाप नहीं करूँगा आज से भगवान का भजन करूँगा अच्छे कर्म करूँगा दुसरो को सुख पहुँचाऊँगा ये बात कहाँ रही दिमाग़ में फिर प्लानिंग बन रही है वैसे करना है ऐसा करना है ऐसा है और प्लानिंग करते करते उनकी प्लानिंग हो गए, वो चले गए। nextpage 

प्रतिदिन राधे जाप :-

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🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸

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bhajanmarg#15 to #17
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भजन मार्ग 15 से 17 में प्रेमानंद जी महाराज द्वारा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का गूढ़ रहस्य समझाया गया है।
भजन मार्ग भाग 83-85: प्रेमानंद जी की मधुर वाणी।
premamand ji maharaj
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