Bhajan Marg

Premanand-Ji-Maharaj-teachings (1)

bhajanmarg#86 – “झूठ भी हार गया सच्ची श्रद्धा से! भोला भक्त (भाग – 1)”

bhajanmarg#86bhajanmarg#86 :- Premanand ji maharaj :- तो एक आदमी भीख मांगने का रोजगार किया था तो जब गांव जाता तो गांव के पहले किसी सरोवर में वो कपड़ा बदलता। अपने और तिलक रचना करके बाबा जी बनता और भेस बना के फिर भीख मांगने जाता तो कई चरवाहे उसको देख रहे थे तो उसने नाटक किया। जैसे कोई प्राणायाम कर रहा हूँ। प्राणों ये बहुत भोला भाला भगत को नजदीक गया। वो कहने लगा महाराज जी ऐसे करने से क्या होता है? उनका भगवान के दर्शन होते हैं और वो सीधा साधा चरवाहा। पहले सरोवर में स्नान किया और जैसे वो वकील खींचते थे, वैसे वकील तिलक की खींची और बैठ के पूरी नाक बंद कर ली। वो वो तो ऐसे केवल रखे थे, पूरी नाक बंद कर ली। अब में प्राणों की व्याकुलता बढ़ती है, आधा मिनट हुआ होगा। अंदर ही अंदर प्रार्थना करता जा रहा है। उनको दर्शन दे दिए, ऐसे करने से वो हमको दर्शन नहीं दिए भगवान। इतनी ज़ोर से पकड़े तक उसके प्राण निकल जाते वो तो सीधा आदमी भगवान आके हटा दिए। ऐसे बोले तुम जानते हो वो नाटक कर रहा बोले हमारे गुरु को नाटकी कहते हो, अगर गुरु नाटकी होते, इतनी जल्दी कैसे मिल जाते थे? तो देखो सर्दहा होनी चाहिए। आप कौन हो? नो कहाँ की मैं भगवान हूँ बोले की हम कैसे जानें की तुम भगवान हो हमने तो कभी देखा नहीं हम अपने गुरु जी बुला कर लाता हूँ और वो कहे की ये ही भगवान हैं, तो हम मानेंगे बोले लीवा लाओ| nextpage

bhajanmarg#87 – “भगवान दया कैसे करते हैं? भोला भक्त (भाग – 2)”

bhajanmarg#87bhajanmarg#87 :- Premanand ji maharaj :- तो एक आदमी भीख मांगने का रोजगार किया था, बाबा जी बनता उसने नाटक किया महाराज जी ऐसे करने से क्या होता है? उनका भगवान के दर्शन होते हैं और बैठ के पूरी नाक बंद कर ली। भगवान आके हटा दिए ऐसे आप कौन हो तो उनका मैं भगवान हूँ। बोले हम कैसे जाने की आप भगवान हो, हम अपने गुरूजी को लिवा के लायेंगे, बोले ऐसे लिए तुम चले जाओगे। अपने गमछा से भगवान को पेड़ में बांधा गांव गया। वो बोला, गुरूजी जैसे आप कर रहे थे, वैसे हमने किया तो भगवान आ गए हैं। चलो केवल देख के तुम्हें बताना की वही भगवान है की नहीं। अब वो तो नाटक करता है तो उन्होंने कहा हाँ वही है वही है। बोले ऐसे नहीं वहाँ चलो देख कर के अब वो लाये। तो दिखाई न दे केवल गमछाप पेड़ में लपटा दिखाई दे, भगवान दे दिखाई न दे तो बोले बच्चा हम तुमसे सही बताये, तुम बहुत पवित्र हृदय के हो, हम पापी आदमी हैं, हमें भगवान कैसे मिल सकते हैं? हम वो भगवान के दर्शन ने हम वो नाटक कर रहे थे तुम्हारे दिखाने के लिए तो उन्होंने भगवान से कहा कि प्रभु यदि मुझ जैसे गवार को इनकी कृपा से मिल सकते हो तो प्रभु आप जी भगवान ने भी दृष्टि दी, उस भीख मांगने वाले को भी भगवान तो देखो भगवान कृपा के साधन रहित गाय चलाने वाले को दर्शन दिया। और नाटक करने, दंभ, पाखंड करने वाले को भी दर्शन दिया तो भगवान कृपा करें तो अपने लोगों को सहज में दर्शन हो जाए और अपनी साधना करें तो बहुत कठिनाई भगवान से मिलना पर हम प्रयास करे तो कभी भी दया सिंधु दया कर सकते है। nextpage

bhajanmarg#88 – “महाराज जी की First, Last & Latest Discovery”

bhajanmarg#88bhajanmarg#88 :- Premanand ji maharaj :- मेरी तो फर्स्ट लास्ट एंड लेटेस्ट डिस्कवरी मेरी प्रथम, अंतिम और नवीनतम खोज नाम अपना कल्याण चाहने वाले व्यक्ति को नाम ही है, जो सबका परम कल्याण कर सकता है। इसलिए जैसे भाई जी कहते हैं फर्स्ट लास्ट एंड लेटेस्ट डिस्कवरी ऐसे प्रेमानंद की भी बात समझ लो हमारी प्रथम अंतिम वर्तमान की अनुभूति राधा नाम राधा राधा राधा। लोक परलोक तुम्हारा सब मंगल हो जाएगा नाम कोई रोचकता पूर्वक ये नहीं कहा गया कि नाम की महिमा को रोचकता बढ़ाने के लिए ऐसा महिमा कही गई हो जो राम नहीं कह पाते थे। केवल मारा मरा, बोले वो रामायण की रचना कर दी जो आज हमारे भारत में इतिहास है जो यौवन अवस्था से लेकर वृद्ध अवस्ता तक केवल वैस्या भ्यविचार और हिंसा और मामसा दिखाने पे रत, वो केवल अपने बालक को बुलाया अंतिम समय नारायन, तो परम पद्वी को प्राप्त हुआ। जो नाम जप में लगे हुए, उनहीं की महिमा है। nextpage

 

 

प्रतिदिन राधे जाप :-

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🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸

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bhajanmarg#15 to #17
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भजन मार्ग 15 से 17 में प्रेमानंद जी महाराज द्वारा भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का गूढ़ रहस्य समझाया गया है।
"झूठ भी हार गया सच्ची श्रद्धा से! भोला भक्त (भाग - 1)"(भाग - 2)
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