bhajanmarg#15
bhajanmarg#15 :-भक्त:- महाराज जी हमें अपने पाप की सजा अपने पति, बच्चों या किसी के रूप में आकर मिलती है। तो क्या ये सजा का क्रम चलता रहेगा जिन?
महाराज जी:- हाँ, जब तक भजन करके क्रम नष्ट नहीं करोगे तो थोड़ा बड़ा पाप थोड़ी है अनंत जन्मो से हम बार बार। जन्म ले रहे हैं। बार बार मरण कर रहे तो हर जन्म में कुछ ना कुछ हमसे पाप बनता गया। वो सब एकत्रित है जिसे सिंचित कर्म कहते हैं। अभी जो कर्म कर रहे हैं उसे कृमाण कहते हैं और जो भोग रहे हैं उसे प्रारब्ध कहते हैं। भजन ऐसा करो कि संचित भस्म हो जाए, कृमाण निष्फल हो जाए। और को भोग ले बड़े बड़े संतों को भोगना पड़ता है किसी के कैंसर, किसी की किडनी फैल, बार बार जनम बार बार मरण बार बार दुख भोगना ये चलता ही रहेगा जब तक हमारे कर्म नष्ट नहीं हो जाएंगे वो कर्म का भोग करके अब नाश कर दे असंभव। क्योंकि नवीन कर्म भी तो बन रहे हैं, वो भी तो जमा हो रहे हैं। गोदाम में हमको चाहिए, गोदाम में आग लग जाए और वो भगवान नहीं लगा सकते हैं। तो भगवान के शरण में होकर भगवान का नाम जप करो और धर्म में आचरण करो बेविचार मान मदिरा इन सब से बचो। तब तुम्हारा जीवन पवित्र होगा। अब दो चार बार नामजप कर लो, वेविचार करो पर पुरुष गमन करो, परिस्त्री गमन करो तो नरक जाओगे, दुर्गति प्राप्त होगी अगर संयम से चलोगे पाप कर्म।
bhajanmarg#16
bhajanmarg#16:- भक्त:- महाराज जी योग मार्ग के षटकर्म जैसे आसन, मुद्रा, प्रत्याहार, प्राणायाम, ध्यान, योग, समाधि, योग आदि क्रियाएं को हमारे आध्यात्मिक जीवन पर क्या प्रभाव है ?
महाराज जी:- नियमों में है ना इनको धारण करते तो हमें दिव्यता आती है। और आसन जैसे सिद्धासन, पद्मासन इन आसनों पर बैठने से दिव्यता होती दिव्य शक्तियां जागृत होती है जब आप 2 घंटे 3 घंटे बैठो पद्मासन, सिद्धासन में फिर आपको पता चलेगा की योग क्या होता है। हड्डी हड्डी टूटती है और उस कष्ट को सहते हुए चित्रवृत्ति को परमात्मा में लगाना और थोड़ा व्यायाम ऐसा करो की जो। आजीवन करते रहे। जो एकदम बहुत व्यायाम करते हैं और बिछोड़ देते हैं, उनकी बहुत बुरी दशा शरीर की भी हो जाती है तो हमें लगता है कि अपना देसी दंड बैठक जैसे है कुछ कर ले और कुछ थोड़ा हाथ पैर दिमाग में अपना कर ले और वो इतना करें कि कुछ परसेंट में रोज़ करता रहे। नियम पूर्वक और भगवान का नाम जब करता रहे तो शरीर भी सवस्थ रहेगा। और स्वरूप की तरफ हम बढ़ेंगे, भगवान की तरफ बढ़ेंगे। भगवान शंकर से बढ़कर कोई योगी होगा। क्या वो भी नामजप करते है, भगवान के लीला चरित्र गाते है, सुनते पवित्र आहार करे और पापा चरण ना करे और राधा राधा नामजप करे सब हो जायेगा जो योग से वही भगवान के भजन से होता है। भगवान कहते हैं, तेशाम सततियुक्ता नाम भजताम प्रीति पूर्वकं ददाम बुद्धियोगं तमेममूपयान देते। जो प्रेम पूर्वक मेरा भजन करता है, मैं उसकी बुद्धि को योग करा देता हूँ। भगवान।
bhajanmarg#17
bhajanmarg#17:-महाराज जी:-ये हमारी पांच बाते याद कर लो आप सदैव सुखी रहोगे। पहला रोज़ ठाकुर जी का चरण मृत्यु अकाल मृत्यु आपकी नहीं होगी समस्त रोगों का नाश करने के सामर्थ्य में दूसरा नियम घर से जब निकलो कम से कम 11 बारिश मंत्र का स्मरण करो अंगुली से गिनना 11 बार कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः॥ कभी आपका एक्सीडेंट नहीं हो सकता। कभी आप दुर्घटना में कभी नहीं फसेंगे और फसेंगे भी तो आप सेफ निकल आयेंगे। कभी भी 24 घंटे में 20-30 मिनट ऐसे निकालो जो घर में अपने ठाकुर के सामने बैठकर नाम संकीर्तन कर सको। चौथी बात 11 दंडवत रोज़ नियम ले लो ठाकुर जी घर में जो विराट। राजमान है कृष्ण को जो प्रणाम करता है उसका पुनर्जन्म नहीं होता है, ये हमारी बातें याद कर लो। पहली बात दूसरी बात घर से निकलने के पहले 11 बार कृष्णाय वासुदेवाय इस मंत्र का जाप करो। तीसरी बात। नाम संकीर्तन 20-30 मिनट अपने घर में करो जितना आनंद पूर्व खूब डूब करके नाम संकीर्तन करो चौथी बात भगवान को 11 साष्टांग दंडवत करो और पांचवीं बात वृंदावन की रज ले जाओ ज़रा सी रज माथे पे रखे रहने अपने बात। के बीच में ज़रा सी फिर आप। अपने जीवन को देख लेना। कितना मंगलमय जीवन होता है कितना आपको? पॉज़िटिव विचार में आते हैं कितना आप? दुख संकट से निवृक्त हो जाओगे आप? मान लो मेरी बात। लोग किसी के आशीर्वाद पर भरोसा करते हैं।
प्रतिदिन राधे जाप:-
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🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸