bhajanmarg#25
bhajanmarg#25 :- भक्त:-महाराज जी , जब भी हम कोई नया कारे शुरू करते हैं, ऐसा कहा जाता है कि किसी को ना बताया जाएं,क्योंकि पहले बता देने से वो कारे सफल नहीं होता। क्या ये कुछ मातदा है?
महाराज जी:- नहीं ऐसे कुछ मातदा नहीं है। आपने कारी को गुःत रहने से… कारी में पुष्टता होती हे हमने कसिसे खेर हैं..हमने ऐसा करेँगे हमने ऐसा कुरेंगे अपटानी कर पायें कुछ ना कर पायें यहूँ प्राशान की एक उपास के आंपात्र बनेंगे तब पूरा समाथ जानी जाएगा, हम क्यों बोलें? सामाजिक विवस्ता के अंतरगत हैं, ये कोई सास्त्री आज्यानी कि आप पहले बोल देंगें तो अनिष्ट हो जाएगा और वो कारी होगा नहीं, ऐसा नहीं है।
bhajanmarg#26
bhajanmarg#25:-भक्त:- महाराज जी ,मैं अपने जीवन में कुछ नएआ कारे करने चलती हूँ तो मेरे आसपास के लोग मुझे उत्साहिन कर देते हैं जिसके कारण मेरे कारे में ।। उत्साहीख हो जाती हैं! मैं अपने कारे में ही यहाँ आपका स्वागत है।
महाराज जी:- केवल अपने लक्ष और भगवान को देखना चाहिए। किसी वेक्ती के सपोर्ट या उसके हटने से हमें कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए। वही सच्चा करता होगा जो केवल भगवान को देखे और अपने लक्ष को देखे। मुझे करना है मेरे शायोगी भगवान है, बस। चार लोग प्रैसंसा करते हैं, है उनकी बूद्धी है. चार लोगails करते हैं, है उनकी बूद्धि है। हम किसी बूद्धी के सपोर्ट से नहीं चल रहे हैं। हम अपनी बुद्धी के support से चल रहे हैं और हमारी बुद्धी को support भगवान का मिलना है इस त्रह अगर हम चलें तो हम बड़े उठसाह युक्त रहेंगे नहीं तो उत्साह दिलाने वाले बहुत कम होते हैं उत्साह घिराने वाले बहुत लोग होते हैंΙ
bhajanmarg#27
bhajanmarg#27:- भक्त:- महाराज जी प्रेम करते थे, जीवन साथी बनाने का दोनों का दिरिन दिश्चे हो गया, बट जहां जाना है, वो नॉन-बैच खाते हैं। उनको भी छोड़ नहीं सकते, अगर उनको छोड़ते हैं, तो अब मैं इतना डिप्रेशन में हो गया है, कि दिन-रात रोते रहे हैं, कि क्या करूँ, मुझे कुछ समय नहीं आरा।
महाराज जी:- अब इस समस्या का समाधान हमारे पास तो है नहीं। आप पुरुष की आसक्ती को नहीं त्याग सकतें, और वो पुरुष, मांस, आदी नहीं त्याग सकतें, तो फिर गलत चेयन किया है आपने, आपने अध्यात्म बल्द तो है नहीं, कि आप अपने अध्यात्म बल्द के द्वारा उनको कहें यदि आप मुझे स्वेखार करना चाहते हैं, तो पवित्र भोजन आपको पाना होगा, पवित्र आचरन करना होगा, अगर आप ऐसे नहीं करेंगे, तो हमारा आपसे कोई सम्मन नहीं, आपको पहले पता था कि ये मांस खाते हैं, तो आपने चैन किया है, अब आप जाओगे तो आपको, आप खाओ या नहीं खाओ, तो खान पान तो उनका गंदा ही है, तो आप ब्रश्ट तो होई जाएंगे, वाईफ्सेट कर लिये, विविचार कर लिये, फिर ब्रेकप कर लिया, फिर जब तीसरा पती होगा, तो वो चैन से रह पाएंगे, वाई गंदी आदर, वाई ब्रश्ट आचरण उनको गिराएंगे, तो हमारे पास इसके विषय में कोई निर्णाइ नहीं है, अगर निर्णाइ हम दें, तो हम तम निर्णाइ दे सकते हैं, जो हमारा कोई सेश्चे हो, हमारी आज्याँ पे चलता हो, अपने पुत्र को या अपने बच्चे को डाटा जा सकता है, दूसरों को नहीं डाटा, आप दूसरी हैं, क्योंकि यह प्रस्णय नहीं आता आपके अंदर, कि हमारे गुरुजी हैं, जब उन्होंने हमको मना किया है, तो या तो आप मुझे स्वईकार करो, तो आप वो छोड़ दो, नहीं, हमारा आपका कोई सम्मंद नहीं है, क्या बिश्व में और लड़के हैं ही नहीं, क्या बिश्व में और पुरुष हैं ही नहीं, वही एक पुरुष है आपके लिए, तो यह समस्या का समाधान, आपने खुद समस्या बना रखी है, आपने खुद गलत सम्मंद स्वईकार कर रखा है, अब आपने स्विकरती की, तो इसको हम कैसे तोड़ सकते हैं।
bhajanmarg#28
bhajanmarg#28 :- भक्त:- महाराज जी, ऐसी कोई व्यवस्था होनी चाहिए जो हमारे पाप नश्ट हो गये हैं और कितने पाप बजे हैं यह हमें समझने आये?
महाराज जी:- वो तो हर्दे में ही पता चल जाता है। इसके लिए कोई काकजात की लिखित थोड़ी चाहिए। इसको अपना हर्दे जानता है। जिस समय हरदय में संसार के किसी भोगों का आकरशन ना रह जाये केवल भगवान का ही आकरशन हरदय पवित्र हो गया अभी कुछ समय भगवान का आकरशन, कुछ समय संसार का आकरशन तो अभी मलिंता बज़ी हैं ज्यादा संसार का आकर्षन, और कम भगवान का आकर्षन, तो अभी ज्यादा मलिनता है। बिलकुन भगवान का आकर्षन नहीं, केवल संसार का आकर्षन, वो गोर-पाप-जनित-मन है। अंदर का विषय, अब आपका हर्दय आपको पता चलेगा,कि आपके हर्दे में क्या हो रहा है? संसार की प्रीता या भगवान की प्रीता? संसार अच्छा लग रहा है या भगवान अच्छा लग रहा है|
प्रतिदिन राधे जाप:-
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🌸🙏 राधे राधे बोलो, प्रेम से बोलो! 🙏🌸
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